चिंकारा मामले में सलमान खान और बिश्नोई समाज आमने सामने है। राजस्थान सरकार ने कह दिया है कि सलमान के पक्ष में आए जोधपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वह अपील करेगी। करीब 18 साल, 1998 में जब एक फिल्म की शूटिंग के दौरान एक काला हिरण और चिंकारा गोलियों का शिकार हुए तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान में बसा बिश्नोई समाज इस मामले को इतना लंबा खींच ले जाएगा। हालांकि मामले की गंभीरता तो तभी समझ ली गई थी क्योंकि चिंकारा और काला हिरण विलुप्त होती प्रजाति है जिसकी सुरक्षा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत की जाती है। लेकिन कम ही लोग जानते थे कि बिश्नोई समाज के लिए यह जानवर क्या मायने रखते हैं।
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फैसले के खिलाफ होगी अपील
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दरअसल बिश्नोई समाज में जानवर को भगवान तुल्य मान जाता है और इसके लिए वह अपनी जान देने के लिए भी तैयार रहते हैं। और जब वह ऐसा कहते हैं तो उसको अमल में भी लाते हैं। बिश्नोई समाज खुद को भारत का पहला पर्यावरण संरक्षक होने का दावा करते हैं। इंटरनेट पर बिश्नोई समाज से जुड़ी कई वेबसाइट उपलब्ध हैं जिसमें अन्य जानकारियों के साथ साथ उन लोगों की सूची है जिन्होंने जानवरों को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी, जिन्हें यह समाज 'शहीद' का दर्ज देता है।
हिरण के बदले जान दी
गंगा राम बिश्नोई भी ऐसे ही एक शख्स हैं जिनका नाम शहीदों की सूची में है। साल 2000 में 35 साल के गंगा राम बिश्नोई अपने खेतों में काम कर रहे थे कि तभी उन्होंने देखा कि एक शख्स चिंकारा पर निशाना साध रहा है। गंगा राम, चिंकारा को बचाने पहुंचते उससे पहले वह गोली का शिकार हो चुका था। गंगाराम पास पहुंचते उससे पहले शिकारी और उसके साथी शिकार को मारकर अपने कंधे पर उठाकर भाग रहे थे। गंगाराम ने शिकारियों के इस झुंड को धर दबोचा लेकिन उनमें से एक ने बन्दूक चला दी जो सीधे गंगाराम को लगी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। बाद में गंगाराम को मरणोपरांत राष्ट्रपति द्वारा बहादुरी पुरस्कार भी दिया गया।
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10 अहम बातें
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'पहले मुझे काटो फिर पेड़ को..'
गंगा राम की तरह ऐसे कई और बिश्नोई हैं जो हिरण से लेकर पेड़ तक को बचाने के लिए अपनी जान देने से पीछे नहीं हटते। बिश्नोई दरअसल बीस (20) और नोई (9) से मिलकर बना है यानि इस समाज का आधार वह 29 नियम हैं जिनका पालन यह जीवन भर करते हैं। इनमें सभी जीवों से प्रेम, मांस नहीं खाना और पेड़ों की रक्षा करना शामिल है। भारतीय पंरपरा पर कई चर्चित किताबें लिख चुके भगवान सिंह लिखते हैं कि बिश्नोई दरअसल राक्षसों के सच्चे उत्ताराधिकारी हैं। यहां लेखक का राक्षस से आशय वनसंपदा की रक्षा के लिए कटिबद्ध जन से है। तो लेखक के मुताबिक 'राक्षसों के सच्चे उत्तराधिकारी बिश्नोई ही हैं जो पेड़ काटने की आशंका होने पर उससे चिपककर खड़े हो जाते हैं - पहले मुझे काटो, फिर पेड़ को...।'
फिल्मी कहानियों से इतर इस बार बिश्नोई समाज के लिए सलमान खान हीरो नहीं विलेन बने हुए हैं। चिंकारा मामले में फरार एकमात्र चश्मदीद गवाह हरीश दुलानी सामने आ गया है और उसने NDTV से बातचीत करते हुए बताया है कि 1998 में काले चिंकारे के शिकार वाले दिन वह सलमान खान की गाड़ी चला रहा था। इसके बाद राजस्थान सरकार ने भी जोधपुर कोर्ट के फैसले पर अपील करने की बात कह दी है, यानि बिश्नोई समुदाय उस चिंकारा और हिरण की मौत को न खुद आसानी से भूलेगा और न ही सलमान खान को भूलने देगा...
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फैसले के खिलाफ होगी अपील
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दरअसल बिश्नोई समाज में जानवर को भगवान तुल्य मान जाता है और इसके लिए वह अपनी जान देने के लिए भी तैयार रहते हैं। और जब वह ऐसा कहते हैं तो उसको अमल में भी लाते हैं। बिश्नोई समाज खुद को भारत का पहला पर्यावरण संरक्षक होने का दावा करते हैं। इंटरनेट पर बिश्नोई समाज से जुड़ी कई वेबसाइट उपलब्ध हैं जिसमें अन्य जानकारियों के साथ साथ उन लोगों की सूची है जिन्होंने जानवरों को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी, जिन्हें यह समाज 'शहीद' का दर्ज देता है।
हिरण के बदले जान दी
गंगा राम बिश्नोई भी ऐसे ही एक शख्स हैं जिनका नाम शहीदों की सूची में है। साल 2000 में 35 साल के गंगा राम बिश्नोई अपने खेतों में काम कर रहे थे कि तभी उन्होंने देखा कि एक शख्स चिंकारा पर निशाना साध रहा है। गंगा राम, चिंकारा को बचाने पहुंचते उससे पहले वह गोली का शिकार हो चुका था। गंगाराम पास पहुंचते उससे पहले शिकारी और उसके साथी शिकार को मारकर अपने कंधे पर उठाकर भाग रहे थे। गंगाराम ने शिकारियों के इस झुंड को धर दबोचा लेकिन उनमें से एक ने बन्दूक चला दी जो सीधे गंगाराम को लगी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। बाद में गंगाराम को मरणोपरांत राष्ट्रपति द्वारा बहादुरी पुरस्कार भी दिया गया।
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10 अहम बातें
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'पहले मुझे काटो फिर पेड़ को..'
गंगा राम की तरह ऐसे कई और बिश्नोई हैं जो हिरण से लेकर पेड़ तक को बचाने के लिए अपनी जान देने से पीछे नहीं हटते। बिश्नोई दरअसल बीस (20) और नोई (9) से मिलकर बना है यानि इस समाज का आधार वह 29 नियम हैं जिनका पालन यह जीवन भर करते हैं। इनमें सभी जीवों से प्रेम, मांस नहीं खाना और पेड़ों की रक्षा करना शामिल है। भारतीय पंरपरा पर कई चर्चित किताबें लिख चुके भगवान सिंह लिखते हैं कि बिश्नोई दरअसल राक्षसों के सच्चे उत्ताराधिकारी हैं। यहां लेखक का राक्षस से आशय वनसंपदा की रक्षा के लिए कटिबद्ध जन से है। तो लेखक के मुताबिक 'राक्षसों के सच्चे उत्तराधिकारी बिश्नोई ही हैं जो पेड़ काटने की आशंका होने पर उससे चिपककर खड़े हो जाते हैं - पहले मुझे काटो, फिर पेड़ को...।'
फिल्मी कहानियों से इतर इस बार बिश्नोई समाज के लिए सलमान खान हीरो नहीं विलेन बने हुए हैं। चिंकारा मामले में फरार एकमात्र चश्मदीद गवाह हरीश दुलानी सामने आ गया है और उसने NDTV से बातचीत करते हुए बताया है कि 1998 में काले चिंकारे के शिकार वाले दिन वह सलमान खान की गाड़ी चला रहा था। इसके बाद राजस्थान सरकार ने भी जोधपुर कोर्ट के फैसले पर अपील करने की बात कह दी है, यानि बिश्नोई समुदाय उस चिंकारा और हिरण की मौत को न खुद आसानी से भूलेगा और न ही सलमान खान को भूलने देगा...
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