Coronavirus Pandemic: बिहार सरकार का मानना है कि राज्य में कोराना वायरस की संक्रमण दर चिंताजनक स्तर तक पहुंच गई है. राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान 1432 नए मामले (New corona cases in Bihar) सामने आए हैं जो अब तक का रिकॉर्ड हैं. हालांकि एक तथ्य यह भी है कि इस दौरान राज्य में पहली बार 10 हजार से अधिक टेस्टिंग हुई. इस बीच राज्य सरकार के मंत्री हो या अधिकारी या फिर राज्य सरकार का कर्मचारी, इलाज के लिए बिहार सरकार के अस्पतालों से ज़्यादा वे जिस तरह पटना AIIMS को बेहतर समझते हुए वहां जा रहे हैं, उसे लेकर विपक्ष ने नीतीश सरकार से सवाल पूछे हैं. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने एक बयान जारी कर कहा कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रतिपक्ष ही नहीं सवाल उठा रहा है. सरकार के नेता, विधायक, मंत्री तथा वरिष्ठ पदाधिकारी, सब बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को अविश्वसनीय करार दे रहे हैं.
शिवानंद ने कहा कि हम सरकार तथा स्वास्थ्य मंत्री जी से जानना चाहते हैं कि अगर बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी मजबूत, कुशल और सक्षम है तो ताकतवर और रसूखदार लोग अपने संक्रमण का इलाज करने के लिए सरकारी अस्पतालों में दाखिल क्यों नहीं हो रहे हैं? नालंदा अस्पताल तो कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए सरकार द्वारा नामित है. सरकार के मंत्री या पदाधिकारी वहां क्यों नहीं जा रहे हैं? अभी तक की खबरों के अनुसार कोई भी मंत्री या वरीय पदाधिकारी न तो नालंदा अस्पताल, न पीएमसीएच और न ही आईजीएमएस में अपने कोराना संक्रमण के इलाज के लिए दाखिल हुआ है. समाचारों के अनुसार आईजीएमएस के डायरेक्टर साहब भी अपने इलाज के लिए एम्स में ही दाखिल हैं.
RJD नेता शिवानंद तिवारी ने कहा, अब स्वास्थ्य मंत्रीजी ही बताएं कि अगर उन्होंने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था 15 वर्ष के शासनकाल में इतनी सशक्त और कुशल बना दी है तो बड़े लोग अपनी सरकार के अस्पतालों पर भरोसा क्यों नहीं कर रहे हैं? शिवानंद के इस बयान के पीछे कारण भी हैं. दरअसल पिछले दिनों राज्य सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संबंधी, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, राजद के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और विभिन ज़िला अधिकारियों ने बिहार सरकार के अस्पताल के बजाय AIIMS पटना ही जाकर अपना इलाज कराया.
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