कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त जवान.
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आंदोलन में आमंत्रित किया
सैन्य कर्मियों की तरह सुविधाएं और सम्मान देने की मांग
हर साल सैकड़ों जवान लड़ते हुए अपनी जान गंवा देते हैं
देश के अर्द्धसैनिक बलों के रिटायर्ड जवान वन रैंक वन पेंशन जैसी कई मांगों को लेकर 28 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे. इन जवानों के मुताबिक सरकार जिस तरह से सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन यानी ओआरओपी दे रही है उसी तरह की सुविधा अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी दे. इन जवानों के परिवार वालों को न तो स्वास्थ सुविधा मिलती है और न ही देश के लिए जान देने पर शहीद का दर्जा.
इनकी मानें तो जब ये सरहद से लेकर आतंकियों और नक्सलियों के खिलाफ सेना के बराबर जिम्मेदारी निभा रहे हैं तो फिर इन्हें सुविधाओं के मामले में महफूज क्यों रखा जाए. इन रिटायर्ड जवानों की आम शिकायत है कि देश में जब भी और जहां जरूरत होती है तो वहां पर अर्द्धसैनिक बलों के जवान ही मौके पर मौजूद होते हैं लेकिन जब बात सुविधा और सम्मान देने की होती है तो फिर इनकी अनदेखी कर दी जाती है. न तो उन्हें सेना के जवानों की तरह पैसा मिलता है और न ही पेंशन.
हर साल सैकड़ों जवान देश के अंदर माओवादी और आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा देते हैं. आईटीबीपी के जवान 18 हजार फीट की ऊंचाई पर चीन से लगी सरहद पर तैनात रहते हैं तो वहीं बीएसएफ के जवान 45 डिग्री भंयकर गर्मी में पाकिस्तान से लगी सीमा पर तैनात रहते है.
कॉन्डफेरेशन ऑफ एक्स पैरामिलेट्री फोर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणवीर सिंह का कहना है कि हमनें पहले भी कई बार केन्द्र सरकार से अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया है लेकिन अभी तक सरकार का रवैया उदासीन ही रहा है यही वजह है कि हमें प्रदर्शन करने के लिये मजबूर होना पड़ा है.
देश में करीब 12 लाख सेवा में और आठ लाख से ज्यादा रिटायर्ड अर्द्धसैनिक बलों के जवान हैं . इनका कहना है कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो अपना आंदोलन और तेज करेंगे.
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