राजस्थान में सचिन पायलट को राहत, यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश; हाईकोर्ट ने तय किए 13 सवाल

फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष सचिन पायलट सहित बागी विधायकों पर अयोग्यता की कार्रवाई नहीं कर सकते, आगे की सुनवाई जारी रहेगी

राजस्थान में सचिन पायलट को राहत, यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश; हाईकोर्ट ने तय किए 13 सवाल

राजस्थान विधानसभा भवन.

नई दिल्ली:

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राजस्थान कांग्रेस संकट (Rajasthan Congress Crisis) मामले में सचिन पायलट (Sachin Pilot) को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए यथास्थिति को बरकरार रखने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने स्पीकर की नोटिस पर रोक लगाने के अपने आदेश को बनाए रखा है. यानी फिलहाल स्पीकर पायलट सहित बागी विधायकों पर अयोग्यता की कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. 

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि फिलहाल नोटिस पर कार्रवाई नहीं होगी. हाईकोर्ट आगे की सुनवाई जारी रखेगा और कोर्ट आगे की सुनवाई के लिए पहले कानून के सवाल को तय करेगा. बता दें कि पायलट खेमे की ओर से शुक्रवार को कोर्ट में मामले में केंद्र को भी पक्ष बनाने को लेकर याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने कहा है कि वो इस मामले केंद्र का पक्ष भी सुनेगा.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में 13 सवाल तय किए हैं. 

1. सुप्रीम कोर्ट का किहोतो होलोहन 1992 का फैसला सिर्फ ‘क्रासिंग ओवर ‘ को लेकर था या पार्टी के भीतरी असहमति पर भी आधारित था?

2. क्या, वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में, विशेष रूप से भारत के संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का  संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 2 (1) (ए) उल्लंघन करता है, और इस प्रकार शून्य है?

3. क्या पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जोरदार शब्दों में असहमति या मोहभंग की अभिव्यक्ति संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा  2( 1)  (a) के दायरे में आने वाला आचरण हो सकता है?

4.  क्या स्पीकर ने जिन आधारभूत तथ्यों पर नोटिस जारी किया है, क्या वे तथ्य संवैधानिक तथ्यों के खिलाफ हैं, क्या वे प्रावधान असंवैधानिक हैं?

5.  क्या संविधान की दसवीं अनुसूची के  पैरा  2( 1)  (a) के तहत किसी भी विधायक के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए स्पीकर के अधिकार क्षेत्र के अभ्यास के तरीके को स्पीकर  के अधिकार क्षेत्र से अलग करना चाहिए या नहीं?

6. क्या पार्टी ' व्हिप' के जरिए विधायकों से अपेक्षित कार्यों के लिए सदन के भीतर ही अनुशासन को  लागू किया जा सकता है?

7. क्या स्पीकर  इस याचिका में याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए संवैधानिकता के उक्त प्रश्न पर निर्णय देने की स्थिति में नहीं हैं?

8. क्या अध्यक्ष द्वारा जारी किया गया नोटिस लोकतंत्र के सार का पूर्व-उल्लंघन है और इसका उद्देश्य सत्ता में व्यक्तियों के खिलाफ असहमति  है?

9. चाहे नोटिस के माध्यम से, लोकतांत्रिक तरीके से व्यक्त की गई पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं की आवाज को दबाने की कोशिश है और याचिकाकर्ताओं को धमकी दी जा रही है कि वे ऐसे नेतृत्व के कामकाज पर अपना विरोध व्यक्त करने के अधिकार को त्याग दें?

10. क्या दसवीं अनुसूची के पैरा  2( 1)  (a) में स्वेच्छा से  राजनीतिक पार्टी की अपनी सदस्यता 'छोड़ने' का अर्थ एक विधायक द्वारा सदन के बाहर मुख्यमंत्री / पार्टी की राज्य इकाई के कामकाज की आलोचना भी है?

11. यदि नंबर 10  का उत्तर हां है, तो क्या पैरा  2( 1)  (a) संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं होगा जिसमें अनुच्छेद 19(1)(a) यानी अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन शामिल है?

12. क्या 14 जुलाई 2020  को नोटिस जारी करने की विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई  जल्दबाजी सहित प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन में, दुर्भावनापूर्ण, शक्ति का दुरुपयोग नहीं है, और यह भी पहले ही निष्कर्ष निकाला जा चुका  है?

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13. क्या किहोतो के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐसा समझा जा सकता है कि उसमें हाईकोर्ट को इन सवालों की जांच करने से रोक दिया है?