
- झालावाड़ स्कूल हादसे के बीच पता चला है कि राजस्थान में 900 से अधिक सरकारी स्कूल जर्जर हालत में हैं.
- मार्च में सर्वे से पता चला कि 294 जर्जर स्कूलों में से 157 प्रयोग के लायक नहीं. 2000 स्कूलों को मरम्मत चाहिए.
- पिपलोदी के जिस स्कूल की छत गिरी, वो मरम्मत वाले सरकारी स्कूलों की लिस्ट में ही नहीं है.
राजस्थान के झालावाड़ जिले में हुए सरकारी स्कूल हादसे ने पूरे शिक्षा तंत्र की कलई खोलकर रख दी है. सवालों के बीच चौंकाने वाली ये जानकारी सामने आई है कि पूरे प्रदेश में 900 से ज्यादा स्कूल इस वक्त जर्जर हालत में हैं. मरम्मत के लिए पिछले दो साल में सरकार ने 1500 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च की है, लेकिन पिपलोदी गांव के जिस सरकारी स्कूल की छत गिरी, वह बड़ी मरम्मत वाले स्कूलों की लिस्ट में ही नहीं था. इस स्कूल के लिए दो साल पहले एक लाख रुपये जारी हुए थे. छत की मरम्मत भी कराई गई थी, लेकिन जमीन का बेस मजबूत नहीं किया गया. इसी का नतीजा रहा कि जमीन धंसी और उसके साथ दीवार और छत भरभराकर गिर गए. 7 बच्चों की की मौत हो गई और 27 घायल हो गए.
294 जर्जर स्कूलों में से 157 इस्तेमाल करने लायक नहीं
राजस्थान में साल में दो बार जर्जर स्कूलों का सर्वे किया जाता है. पता चला है कि इस साल मार्च में भी सर्वे हुआ था. उस सर्वे में पाया गया था कि 294 जर्जर स्कूलों में से 157 ऐसे हैं, जिन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. करीब 2000 स्कूलों में काफी ज्यादा मरम्मत की जरूरत बताई गई. इनकी रिपेयर के लिए सीएम से घोषणा भी करवा ली गई. बजट भी पास हो गया. वर्ष 2025-26 के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की गई है. लेकिन इस हादसे ने पूरी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है. ये हादसा गवाह है कि कैसे मॉनसून से पहले अलर्ट के बावजूद जर्जर इमारतों में बच्चों को पढ़ाकर उनकी ज़िंदगी दांव पर लगायी जा रही थी.
छत की मरम्मत, पर जमीन की अनदेखी भारी पड़ी
पता चला है कि झालावाड़ जिले में जर्जर अवस्था में 14 स्कूल पाए गए थे. झालावाड़ के मनोहरथाना में पिपलोदी गांव स्थित जिस स्कूल की छत गिरी है, उसकी रिपेयरिंग के लिए 2023 में एक लाख रुपये मंजूर हुए थे. स्कूल के सर्वे से पता चला कि पूरे स्कूल में सिर्फ दो कमरे ऐसे थे, जिनकी हालत खराब थी. ग्राम पंचायत की मदद से छत की मरम्मत करवाई गई थी. पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर ने इसका निरीक्षण करके पास कर दिया था. लेकिन अब पता चला है कि छत की तो मरम्मत करा दी गई थी, लेकिन नीचे जमीन की हालत को अनदेखा कर दिया था. इसी का नतीजा रहा कि जमीन कमजोर होकर धंस गई और उसके साथ दीवार और छत भी ढह गई.
हादसे से पहले गांववालों-बच्चों ने आगाह किया था
राज्य शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने सभी जिलों को जर्जर स्कूल भवनों की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था ताकि समय रहते मरम्मत हो सके, लेकिन हादसे से जाहिर है कि न तो रिपोर्ट तैयार हुई और न ही किसी ने स्कूल का निरीक्षण किया. घायल बच्चों ने बताया कि हादसे से पहले छत से गिरते कंकड़ों और दरारों के बारे में शिक्षकों को बताया गया था, लेकिन समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई. ग्रामीणों के अनुसार, बिल्डिंग की हालत पहले से ही खराब थी, फिर भी इसमें पढ़ाई कराई जा रही थी.
हादसे के वक्त दो जर्जर कमरों में 71 बच्चे थे
जिस स्कूल में हादसा हुआ, वह 1999 से पंचायत भवन में चल रहा था. स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल में कुल 7 क्लासरूम हैं. दो कमरे जर्जर थे, बाकी ठीक थी. हादसे के वक्त दो जर्जर कमरों में कुल 71 बच्चे मौजूद थे. सुबह करीब 8 बजे जिस कमरे में हादसा हुआ, उसमें 7वीं कक्षा के 35 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे. हादसे के समय दोनों शिक्षक स्कूल परिसर में थे, लेकिन कक्षा में नहीं थे.
सचिव ने माना, ये स्कूल जर्जर बिल्डिंग की लिस्ट में नहीं
प्राथमिक जांच में सामने आया था कि जर्जर कमरों को लेकर बच्चे और अभिभावक लगातार शिकायत कर रहे थे. बारिश की वजह से दीवारों में सीलन, प्लास्टर झड़ने की शिकायत आ रही थी. हादसे से कुछ मिनट पहले भी छात्रों ने शिकायत की थी. शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने भी माना है कि ये स्कूल जर्जर बिल्डिंग वाले स्कूलों की सूची में शामिल नहीं था.
प्रिंसिपल निलंबित, सीएम ने जवाबदेही तय करने को कहा
इस भीषण हादसे के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत में अब पढ़ाई नहीं होनी चाहिए. बच्चों की सुरक्षा सबसे ऊपर है. उन्होंने हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने के भी निर्देश दिए हैं. पिपलोदी के स्कूल के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है. शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को तुरंत सर्वे करके टपकती और जर्जर छतों वाले स्कूलों की रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं.
शिक्षा मंत्री बोले, 200 करोड़ खर्च कर सुधारेंगे जर्जर स्कूल
राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि प्रदेश में हजारों स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर स्थिति में हैं. इन्हें सुधारने के लिए करीब 200 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. फिलहाल प्राथमिकता घायल बच्चों के इलाज और जांच को दी जा रही है. घटना की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दे दिए गए हैं.
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