नई दिल्ली:
भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काले धन के खिलाफ आंदोलन के लिए उतरे योग गुरु रामदेव ने लोकपाल पर टीम अन्ना के अड़ियल रुख की इशारों-इशारों में आलोचना की है। रामदेव ने कहा कि लोकपाल आने दीजिए, बाद में इसमें संशोधन हो सकते हैं।
अन्ना की पूर्व टीम के सदस्य इस बात पर अड़े रहे हैं कि सरकार उनके मांगों को बिल में शामिल करे। रामदेव ने इसी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जिस तरह संविधान में संशोधन होते रहे हैं, उसी तरह लोकपाल में भी बदलाव हो सकते हैं। रामदेव ने मजबूत लोकपाल का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हुए तीन दिन के उपवास पर बैठने का ऐलान किया। पहले चरण में रामदेव अपने समर्थकों के साथ तीन दिन का सांकेतिक उपवास करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
रामदेव ने कहा कि वह किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत दिल्ली नहीं आए हैं और न ही उनका इरादा सत्ता में बैठे लोगों को हटाने या उनकी जगह किसी और को बिठाने का है। उन्होंने कहा, हम किसी को बदनाम करने नहीं आए, बल्कि हिन्दुस्तान को बनाने आए हैं। सरकार की तरफ से हरीश रावत और पवन बंसल का बयान आया है कि उनके दरवाजे हमसे बातचीत के लिए खुले हैं और हम भी उन्हें बताना चाहते हैं कि हमारे दरवाजे भी बातचीत के लिए खुले हैं।
रामदेव ने कहा, हमें उम्मीद है कि सरकार एक कड़ा लोकपाल जल्द से जल्द पेश करेगी। उन्होंने कहा कि लोकपाल की लड़ाई खत्म नहीं हुई है और वक्त आ गया है कि इसे पारित किया जाए। अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि 'मजबूत' लोकपाल बने 'मजबूर' लोकपाल नहीं। अन्ना हजारे और उनकी टीम पर उन्होंने कहा कि अन्ना के 'सामाजिक एजेंडे' के साथ खड़ा रहूंगा, लेकिन उनकी टीम पर कोई टिप्पणी कर विवाद पैदा नहीं करूंगा।
3 अगस्त को ही अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्यों ने सख्त जनलोकपाल विधेयक की मांग को लेकर किया जा रहा अपना अनशन समाप्त कर दिया था। उन्होंने लोगों को राजनीतिक विकल्प देने की बात कही है। अनशन समाप्त होने के बाद 6 अगस्त को टीम अन्ना भी भंग कर दी गई।
दिल्ली पुलिस ने रामदेव के आंदोलन के आयोजकों को 30 अगस्त तक के लिए रामलीला मैदान में जगह दी है। यहां हर दिन 30,000 लोगों के जुटने की इजाजत दी गई है। रामदेव ने एक साल पहले भी इसी मैदान में ऐसा ही एक आंदोलन किया था। पुलिस की कड़ी कार्रवाई और एक महिला की मौत के साथ उस आंदोलन की समाप्ति हुई थी।
भ्रष्टाचार मिटाने और कालेधन को वापस लाने के अलावा इस बार रामदेव के एजेंडे में लोकपाल और सीबीआई को स्वतंत्र बनाने की मांग शामिल है। सुबह रामदेव अहमदाबाद से दिल्ली पहुंचे और सबसे पहले वह राजघाट गए और वहां से शहीद पार्क होते हुए रामलीला मैदान पहुंचे। सुबह से ही रामलीला मैदान में लोगों की भीड़ लगने लगी और सुबह करीब 10-12 हजार लोग जुट गए।
अन्ना की पूर्व टीम के सदस्य इस बात पर अड़े रहे हैं कि सरकार उनके मांगों को बिल में शामिल करे। रामदेव ने इसी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जिस तरह संविधान में संशोधन होते रहे हैं, उसी तरह लोकपाल में भी बदलाव हो सकते हैं। रामदेव ने मजबूत लोकपाल का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हुए तीन दिन के उपवास पर बैठने का ऐलान किया। पहले चरण में रामदेव अपने समर्थकों के साथ तीन दिन का सांकेतिक उपवास करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
रामदेव ने कहा कि वह किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत दिल्ली नहीं आए हैं और न ही उनका इरादा सत्ता में बैठे लोगों को हटाने या उनकी जगह किसी और को बिठाने का है। उन्होंने कहा, हम किसी को बदनाम करने नहीं आए, बल्कि हिन्दुस्तान को बनाने आए हैं। सरकार की तरफ से हरीश रावत और पवन बंसल का बयान आया है कि उनके दरवाजे हमसे बातचीत के लिए खुले हैं और हम भी उन्हें बताना चाहते हैं कि हमारे दरवाजे भी बातचीत के लिए खुले हैं।
रामदेव ने कहा, हमें उम्मीद है कि सरकार एक कड़ा लोकपाल जल्द से जल्द पेश करेगी। उन्होंने कहा कि लोकपाल की लड़ाई खत्म नहीं हुई है और वक्त आ गया है कि इसे पारित किया जाए। अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि 'मजबूत' लोकपाल बने 'मजबूर' लोकपाल नहीं। अन्ना हजारे और उनकी टीम पर उन्होंने कहा कि अन्ना के 'सामाजिक एजेंडे' के साथ खड़ा रहूंगा, लेकिन उनकी टीम पर कोई टिप्पणी कर विवाद पैदा नहीं करूंगा।
3 अगस्त को ही अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्यों ने सख्त जनलोकपाल विधेयक की मांग को लेकर किया जा रहा अपना अनशन समाप्त कर दिया था। उन्होंने लोगों को राजनीतिक विकल्प देने की बात कही है। अनशन समाप्त होने के बाद 6 अगस्त को टीम अन्ना भी भंग कर दी गई।
दिल्ली पुलिस ने रामदेव के आंदोलन के आयोजकों को 30 अगस्त तक के लिए रामलीला मैदान में जगह दी है। यहां हर दिन 30,000 लोगों के जुटने की इजाजत दी गई है। रामदेव ने एक साल पहले भी इसी मैदान में ऐसा ही एक आंदोलन किया था। पुलिस की कड़ी कार्रवाई और एक महिला की मौत के साथ उस आंदोलन की समाप्ति हुई थी।
भ्रष्टाचार मिटाने और कालेधन को वापस लाने के अलावा इस बार रामदेव के एजेंडे में लोकपाल और सीबीआई को स्वतंत्र बनाने की मांग शामिल है। सुबह रामदेव अहमदाबाद से दिल्ली पहुंचे और सबसे पहले वह राजघाट गए और वहां से शहीद पार्क होते हुए रामलीला मैदान पहुंचे। सुबह से ही रामलीला मैदान में लोगों की भीड़ लगने लगी और सुबह करीब 10-12 हजार लोग जुट गए।
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