तीन नए कृषि कानून (Farm Law 2020) के खिलाफ पिछले करीब चार महीनों से आंदोलन पर बैठे किसान (Farmer Protest) अब चुनावी राज्यों में BJP का खेल बिगाड़ने की जुगत में जुट गए हैं. शनिवार को किसानों के नारों की आवाज पश्चिम बंगाल (West Bengal Assembly Polls 2021) की सियासी नारों के बीच सुनाई दी. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्नवान पर किसानों ने अहम चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में महापंचायत की. इस महापंचायत के लिए राज्य की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली नंदीग्राम (Mahapanchayat in Nandigram) को चुना गया, जिसके अपने राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. किसानों की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत (Rakesh Tikait in Nandigram) ने महापंचायत में शामिल होते हुए बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया. उन्होंने कहा कि अगला टारगेट संसद पर फसल बेचने का है. टिकैत के अनुसार किसानों के ट्रैक्टर को कोई नहीं रोक सकता है. सरकार ने पूरे देश को लूटा है इसलिए जनता अपने बंगाल को बचाए.
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बताते चलें कि राकेश टिकैत जब कोलकाता पहुंचे तो तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन ने एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी की. इसके बाद टिकैत ने शहर में और पूर्वी मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ किसानों को संबोधित किया. टिकैत ने आरोप लगाया कि केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार किसानों और उनके आंदोलन की रीढ़ तोड़ने पर आमादा है. उन्होंने कहा कि यह ‘‘जन-विरोधी'' सरकार है. उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को वोट मत देना. अगर उन्हें वोट दिया गया तो वे आपकी जमीन बड़े कॉर्पोरेट्स और उद्योगों को दे देंगे और आपको भूमिहीन बना देंगे. वे आपकी आजीविका दांव पर लगाकर देश के बड़े उद्योगपति समूहों को जमीन सौंप देंगे और आपको खतरे में डाल देंगे.''
टिकैत ने भाजपा को ‘‘धोखेबाजों की पार्टी'' कहते हुए कहा, ‘‘हम भाजपा का विरोध करने वालों और किसानों तथा गरीबों के साथ खड़े होने वालों के पाले में रहेंगे.'' हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि बंगाल में किसान महापंचायत का मतलब राज्य में किसी विशेष गैर-भाजपा पार्टी को समर्थन देना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां किसी विशेष पार्टी के लिए वोट मांगने के लिए नहीं आया हूं. हम यहां बंगाल में किसानों की ओर से भाजपा के खिलाफ लड़ाई शुरू करने के लिए अपील कर रहे हैं.''
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर में शुरू हुए किसान आंदोलन को 4 महीने पूरे होने जा रहे हैं. पहले कड़ाके की ठंड झेली, ठिठुरती ठंड में बारिश भी झेली और अब धीरे-धीरे मौसम गरम हो रहा है, इसलिए किसानों ने भी लंबी लड़ाई की तैयारी शुरू कर ली है. गर्मी से बचने के लिए पक्के घर बनाए जा रहे हैं, जो पक्के घर नहीं बना सकते वो पराली, बांस जैसी चीजों का सहारा लेकर घर बना रहे हैं.
इनपुट एजेंसी भाषा से भी
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