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This Article is From Jul 21, 2020

Rajasthan Crisis: राजस्‍थान पुलिस की सचिन पायलट खेमे के 'वांटेड' विधायकों के लिए तलाश अभी भी जारी..

इन दोनों विधायकों भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह के आवाज के सैंपल की जरूरत है ता‍कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिस ऑडियो टेप में राजस्‍थान की सरकार को गिराने के लिए रिश्‍वत के बारे में चर्चा की जा रही है, वह आवाज इन दोनों की है.

Rajasthan Crisis: राजस्‍थान पुलिस की सचिन पायलट खेमे के 'वांटेड' विधायकों के लिए तलाश अभी भी जारी..
सचिन पायलट खेमे के विधायक मानेसर में डेरा डाले हुए हैं
जयपुर:

Rajasthan Crisis: राजस्‍थान में चल रहे सियासी संकट के बीच अपने 'तलाशी मिशन' को शुरू करने के पांच दिन बाद, राजस्थान पुलिस की टीम ने कहा है कि वह उन दो विधायकों का पता लगाने में सक्षम नहीं है जो टीम सचिन पायलट (Team Sachin Pilot) का हिस्‍सा हैं. इन दोनों विधायकों भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह के आवाज के सैंपल (voice samples) की जरूरत है ता‍कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिस ऑडियो टेप में राजस्‍थान की सरकार को गिराने के लिए रिश्‍वत के बारे में चर्चा की जा रही है, वह आवाज इन दोनों की है. विधायकों भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह (Bhanwarlal Sharma and Vishwendra Singh) ने ऑडियो टेप में उनकी आवाज होने से इनकार किया है.

इन दोनों विधायकों की कांग्रेस ने उन बागियों के रूप में 'पहचान' की है जो राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री पद से अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को बेदखल करने और उनकी जगह सचिन पायलट (Sachin Pilot) को सीएम बनाने का समर्थन कर रहे थे. राजस्थान पुलिस के स्‍पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की 'खजाने की यह खोज (Treasure Hunt)' शुक्रवार को शुरू हुई थी जब एसओजी टीम को जयपुर से दिल्ली के पास हरियाणा के मानेसर (Manesar) के लिए रवाना किया गया था, यहां एक रिसॉर्ट में सचिन पायलट और उनके समर्थक बागी विधायक डेरा डाले हुए हैं. हालांकि SOG का मानेसर में स्‍वागत 'गर्मजोशी' से नहीं हुआ. हरियाणा पुलिस ने पायलट कैंप में इसके प्रवेश को रोकने के लिए 50 से अधिक पुलिसकर्मी भेजे. कांग्रेस ने कहा कि हरियाणा में सत्‍तारूढ़ बीजेपी की "मेहमाननवाजी" ने पायलट के उस 'कवर' को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है जिसमें उन्‍होंने (पायलट ने) घोषणा की थी कि वह "अभी भी कांग्रेस के साथ हैं."

गौरतलब है कि दिसंबर 2018 में जब राजस्‍थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो अशोक गहलोत को राज्‍य का मुख्‍यमंत्री और सचिन पायलट को उप मुख्‍यमंत्री बनाया गया था. इसके बाद से ही गहलोत और उनके 'डिप्‍टी' के रिश्‍तों में खटास बढ़ती जा रही थी. पायलट का मानना था कि राजस्‍थान कांग्रेस अध्‍यक्ष होने के नाते राज्‍य में सरकार बनाने में उनका अहम योगदान रहा है और वे सरकार का नेतृत्‍व करने के हकदार हैं. दोनों खेमों के बीच तल्‍खी उस समय सार्वजनिक हो गई जब सचिन पायलट और उनके खेमे में करीब 30 विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावती बिगुल फूंक दिया. पायलट इस मांग के साथ दिल्ली पहुंचे कि उन्हें सीएम के रूप में पदोन्नत किया जाए और श्री गहलोत को बर्खास्त कर दिया जाए. उन्होंने अपने साथ 30 विधायकों के समर्थन होने का दावा किया था. कांग्रेस ने इस पर सख्‍त कार्रवाई करते हुए पायलट का उप मुख्‍यमंत्री और राज्‍य कांग्रेस प्रमुख पद से बर्खास्‍त कर दिया था. यही नहीं, उनके समर्थक, राज्‍य सरकार के दो मंत्रियों को भी हटा दिया गया था. पायलट समर्थक बागियों के मानेसर पहुंचने के बाद राजस्थान पुलिस द्वारा उनके दो विधायकों का पता लगाने की कोशिश की लेकिन इस कोई परिणाम अब तक नहीं निकला है. एक विशेष विज्ञप्ति में, स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप ने मंगलवार को कहा कि टीम दिल्ली और मानेसर में अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं.

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