राजस्थान में सियासी संग्राम (Rajasthan Crisis) के बीच कांग्रेस प्लान बी पर काम कर रही है. इस प्लान को तब अमल में लाया जाएगा जब सचिन पायलट (Sachin Pilot) और उनके बागी विधायकों को राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) से राहत मिल जाए. कांग्रेस के बागी विधायकों की याचिका पर सोमवार को सुनवाई फिर शुरू होगी. विधायकों ने किसी भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने से इनकार करते हुए स्पीकर के नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
कांग्रेस की लीगल टीम से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यदि उच्च न्यायालय का फैसला पायलट खेमे के पक्ष में आता है तो अगले कदम के रूप में पार्टी विधानसभा का सत्र बुलाने की योजना बना रही है.
इस स्थिति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा. कांग्रेस पहले से ही दावा कर रही है कि उसके पास बहुमत से ज्यादा नंबर हैं. मुख्य व्हिप महेश जोशी कांग्रेस के सभी विधायकों को पार्टी के पक्ष में वोट करने के लिए व्हिप जारी करेंगे.
यदि पायलट खेमा व्हिप का उल्लंघन करता है या फिर अनुपस्थित रहता है तो इसे व्हिप के विपरीत कार्य माना जाएगा और दसवीं अनुसूची की धारा 2(1)(बी) के तहत अयोग्य घोषित किया जाएगा. हालांकि, इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है.
पायलट और उनकी टीम के खिलाफ अभी संविधान की 10वीं अनुसूची की धारा 2(1)(ए) के तहत अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया चल रही है. जिसे दलबदल विरोधी कानून (Anti-Defection law) के नाम से जाना जाता है. पायलट और उनके साथी 18 विधायकों को नोटिस जारी किया गया है. वे हरियाणा में किसी अज्ञात स्थान पर डेरा डाले हुए हैं. नोटिस को उनके घर के बाहर या फोन और व्हाट्सएप पर मैसेज के जरिये भेजा गया है.
यदि बागी विधायकों को अयोग्य ठहराया गया तो 200 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा कम हो जाएगा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी सरकार बचाने का एक आसान मौका मिल जाएगा. गहलोत ने शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी. गहलोत का दावा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं