उत्तराखंड में आसमान से आफत बरस रही है। पिछले 48 घंटों के दौरान बाढ़ और भूस्खलन की वजह से राज्य में 27 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे खराब स्थिति पौड़ी जिले की है, जहां 15 लोगों की मौत हो गई। देहरादून में सात, पिथौड़ागढ़ में चार और हरिद्वार में एक व्यक्ति की जान चली गई। राज्य में बारिश की वजह से कई मकानों को नुकसान पहुंचा है।
बारिश की वजह से चार धाम यात्रा के मार्ग को भारी नुकसान पहुंचा है और यात्रा फिलहाल रोक दी गई है। हालांकि पिछले तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश के बाद आज सुबह से मौसम कुछ साफ है, जिससे राहत और बचाव कार्य में तेजी आई है।
बचाव कार्य में एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन जुटा हुआ है, जबकि बीआरओ और पीडब्ल्यूडी की टीम सड़क खोलने के काम में जुटी हुई है। राज्य की अधिकतर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
हरिद्वार के ग्रामीण इलाके श्यामपुर कांगड़ी में देखते ही देखते एक मकान गंगा में समा गया, हालांकि इसमें जान−माल का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इसे लेकर यहां के स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों में गहरा आक्रोश है।
इलाके के विधायक का कहना है कि पिछले साल आई इतनी बड़ी तबाही के बावजूद किसी ने इसकी सुध नहीं ली, जिसकी वजह से एक बार फिर लोगों के सामने पलायन की समस्या आ पड़ी है। वहीं गांववालों का आरोप है कि वे शिकायत लेकर तो गए, पर किसी अधिकारी ने उनकी एक नहीं सुनी।
हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। शनिवार को गंगा का पानी यहां के पुलिस लाइन में पहुंच गया। हालांकि यहां के 40 पुलिसकर्मियों के परिवार वालों को पहले ही यहां से हटा लिया गया था। लोगों की जान तो बच गई, लेकिन पुलिस वाले अपने घरों के ज्यादातर सामान को पानी की चपेट में आने से बचाने में नाकाम रहे। घुड़सावर दस्ते के कई घोड़ों को हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर रखा गया है।
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