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This Article is From Feb 27, 2016

रेलवे के जिन कंबलों को ओढ़ते हैं आप, वे दो महीने में एक बार धुलते हैं

रेलवे के जिन कंबलों को ओढ़ते हैं आप, वे दो महीने में एक बार धुलते हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: ट्रेनों में रेल यात्रियों को मिलने वाले चादरों, तकियों और कंबलों से बदबू आने की शिकायतों के बीच आज रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि उन कंबलों की धुलाई दो महीने में एक बार की जाती है।

मनोज सिन्हा ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न सदस्यों के पूरक सवालों के जवाब में कहा कि चादरों, तकियों के खोलों को हर दिन साफ किया जाता है जबकि कंबलों को दो महीनों में धोया जाता है।

कुछ सदस्यों ने ट्रेनों में रेलवे द्वारा दिए जाने वाले चादरों, कंबलों आदि की सफाई को लेकर शिकायतें की थीं। सभापति हामिद अंसारी ने कहा कि अपना बिस्तरबंद ले जाने का पुराना चलन ही अच्छा था।

सिन्हा ने कहा कि यह अच्छी सलाह है और रेलवे को कोई समस्या नहीं होगी अगर यात्री उस चलन को स्वीकार करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यात्रियों से बेडरॉल की गुणवत्ता के संबंध में समय समय पर पत्र प्राप्त होते रहते हैं और उन उचित कार्रवाई की जाती है।

सिन्हा ने कहा कि इससे पहले आउटसोर्स की गयी लांड्री सेवाओं के बारे में घटिया धुलाई को लेकर नियमित शिकायतें मिलती रहती थीं। इसलिए रेल ने अपने नियंत्रण में मशीनीकृत लॉन्ड्रियां स्थापित करने का निश्चय किया और अब तक 41 ऐसी लांड्रियां स्थापित कर दी गयी हैं। उन्होंने बताया कि अगले दो साल में 25 और ऐसी लांड्रियां चालू करने की योजना है। इसके बाद करीब 85 प्रतिशत यात्रियों की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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