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This Article is From Jan 04, 2021

हरियाणा में किसानों से बदसूलकी का मामला पहुंचा SC, जल्द हो सकती है सुनवाई

आंदोलन (Farmers Protest) की शुरूआत में दिल्ली जाने के लिए निकले किसानों पर हरियाणा में वॉटर कैनन और लाठीचार्ज का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा है.

हरियाणा में किसानों से बदसूलकी का मामला पहुंचा SC, जल्द हो सकती है सुनवाई
किसानों से बदसलूकी का मामला SC पहुंचा है. (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
किसानों से बदसलूकी का मामला पहुंचा SC
पंजाब के छात्रों ने SC को भेजा है पत्र
हरियाणा में किसानों के साथ हुई थी बर्बरता
नई दिल्ली:

किसान आंदोलन (Farmers Protest) का आज 40वां दिन है. आंदोलन की शुरूआत में हरियाणा में दिल्ली जाने के लिए निकले किसानों पर वॉटर कैनन और लाठीचार्ज का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा है. सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज, पंजाब यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों द्वारा भेजे गए लेटर को कोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है. शीर्ष अदालत स्वत: संज्ञान लेकर भी इस मामले की सुनवाई करेगी. छात्रों की चिट्ठी में हरियाणा सरकार द्वारा किसान प्रदर्शनकारियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जिसमें पुलिस ने किसानों के खिलाफ वॉटर कैनन और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया था.

छात्रों के पत्र के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल दूसरी याचिकाओं के.साथ इसपर सुनवाई हो सकती है. छात्रों ने 2 दिसंबर, 2020 को CJI एसए बोबडे व अन्य न्यायाधीशों को चिट्ठी लिखकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर वॉटर कैनन के अवैध इस्तेमाल, आंसू गैसों के गोले और लाठीचार्ज के संबंध में हरियाणा पुलिस की जांच कराने के निर्देश मांगे थे.

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हरियाणा और दिल्ली पुलिस को निर्दोष किसानों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने के आदेश देने की भी अपील की है, जो राजनीतिक प्रतिशोध के तहत दर्ज किए गए थे. छात्रों ने अपने पत्र में प्रदर्शनकारियों की अवैध हिरासत के मामलों को देखने का आदेश मांगा है. सभी प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारों को निर्देशित करने के लिए कहा गया है और सभी प्रदर्शनकारियों विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए विरोध स्थल पर मोबाइल टॉयलेट वैन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की मांग की है.

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पत्र में अपील की गई है कि कोर्ट COVID-19 की पृष्ठभूमि में विरोध स्थलों पर सफाई व्यवस्था के बारे में उचित दिशा-निर्देश जारी करें. फर्जी खबरों पर रोक लगाने के लिए और उन मीडिया चैनलों के खिलाफ कार्रवाई करें, जो गलत बयानी में लगे हैं क्योंकि वे पूरे मामले का ध्रुवीकरण कर रहे हैं और इसे सनसनीखेज बना रहे हैं.

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