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This Article is From Aug 28, 2021

फेक न्यूज का चलन बढ़ा, मीडिया की निष्पक्षता सुनिश्चित हो : सुप्रीम कोर्ट के जज

उन्होंने फेक न्यूज पर भी निशाना साधा और कहा कि आज फेक न्यूज का चलन बढ़ता ही जा रहा है. वरिष्ठ जज ने कहा कि WHO ने COVID महामारी के दौरान इसे 'इन्फोडेमिक' कहते हुए पहचाना था. 

फेक न्यूज का चलन बढ़ा, मीडिया की निष्पक्षता सुनिश्चित हो :  सुप्रीम कोर्ट के जज
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "लोकतंत्र में राज्य (सरकारें) राजनीतिक कारणों से झूठ नहीं बोल सकते हैं."
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीनियर जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandravhud) ने कहा है कि समाज के बुद्धिजीवियों का कर्तव्य बनता है कि वो "राज्य के झूठ" को उजागर करें. जस्टिस चंद्रचूड़ ने शनिवार की सुबह 'नागरिकों के सत्ता से सच बोलने का अधिकार' विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान में ये बातें कहीं.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "लोकतंत्र में राज्य (सरकारें) राजनीतिक कारणों से झूठ नहीं बोल सकते हैं." उन्होंने कहा कि सच्चाई के लिए केवल राज्य पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. इसलिए समाज के प्रबुद्ध लोग सरकारों के झूठ को उजागर करें. उन्होंने कहा, 'एकदलीय सरकारें सत्ता को मजबूत करने के लिए झूठ पर निरंतर निर्भरता के लिए जानी जाती हैं."

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "COVID के समय में हम देख रहें हैं कि दुनिया भर के देशों में COVID डेटा में हेरफेर करने का चलन बढ़ रहा है."  उन्होंने फेक न्यूज पर भी निशाना साधा और कहा कि आज फेक न्यूज का चलन बढ़ता ही जा रहा है. वरिष्ठ जज ने कहा कि WHO ने COVID महामारी के दौरान इसे 'इन्फोडेमिक' कहते हुए पहचाना था. उन्होंने कहा कि मीडिया की निष्पक्षता सुनिश्चित होनी चाहिए.

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उन्होंने कहा कि इंसानों में सनसनीखेज खबरों की ओर आकर्षित होने की प्रवृत्ति होती है, जो अक्सर झूठ पर आधारित होती है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर झूठ का बोलबाला है. सच्चाई के बारे में लोगों का चिंतित न होना, सत्य के बाद की दुनिया में एक और घटना है." 

उन्होंने कहा, "'हमारी सच्चाई' बनाम 'आपकी सच्चाई' और सच्चाई की अनदेखी करने की प्रवृत्ति के बीच एक प्रतियोगिता छिड़ी है, जो सच्चाई की धारणा के अनुरूप नहीं है. 'सच्चाई की तलाश' नागरिकों के लिए एक प्रमुख आकांक्षा होनी चाहिए. हमारा आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' है. हमें राज्य और विशेषज्ञों से सवाल करने के लिए तैयार रहना चाहिए. राज्य के झूठ को बेनकाब करना समाज के बुद्धिजीवियों का कर्तव्य है." 

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