पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हलफनामे का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की गई है जिसमें नरेन्द्र मोदी के खिलाफ FIR दर्ज करने की याचिका को खारिज कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने हलफनामे में पत्नी संबंधी जानकारी छिपाई थी। ये याचिका आप नेता निशांत वर्मा की तरफ से दाखिल की गई है। हालांकि तीन जुलाई को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी और निचली अदालत के फैसले को भी पलट दिया था।
इससे पहले अहमदाबाद की एक कोर्ट ने देरी के आधार पर अर्जी खारिज कर दी थी। वर्मा ने कहा था कि मोदी ने अपने हलफनामे में अपनी वैवाहिक स्थिति की जानकारी नहीं दी थी। जबकि कोर्ट ने कहा था कि एक मतदाता के तौर पर याचिकाकर्ता किसी और विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं, जबकि उनकी शिकायत मणिनगर सीट से जुड़ी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह कदम अपराध तभी कहा जा सकता है जब गलत सूचना दी जाए या सूचना छिपाई जाए।
याचिका में कहा गया है कि 2012 में मणिनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके मोदी ने अपने हलफनामे में वह कॉलम खाली छोड़ दिया था जबकि उसमें उन्हें अपनी पत्नी का नाम लिखना था। मोदी ने अपनी पत्नी जसोदाबेन का नाम पहली बार उस वक्त लिखा जब 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपना पर्चा दाखिल किया था।
वर्मा ने दलील दी थी कि मोदी ने 2012 में अपनी वैवाहिक स्थिति के बारे में तथ्यों का खुलासा नहीं किया था जो जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध है और इसमें छह महीने की सजा का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने हलफनामे में पत्नी संबंधी जानकारी छिपाई थी। ये याचिका आप नेता निशांत वर्मा की तरफ से दाखिल की गई है। हालांकि तीन जुलाई को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी और निचली अदालत के फैसले को भी पलट दिया था।
इससे पहले अहमदाबाद की एक कोर्ट ने देरी के आधार पर अर्जी खारिज कर दी थी। वर्मा ने कहा था कि मोदी ने अपने हलफनामे में अपनी वैवाहिक स्थिति की जानकारी नहीं दी थी। जबकि कोर्ट ने कहा था कि एक मतदाता के तौर पर याचिकाकर्ता किसी और विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं, जबकि उनकी शिकायत मणिनगर सीट से जुड़ी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह कदम अपराध तभी कहा जा सकता है जब गलत सूचना दी जाए या सूचना छिपाई जाए।
याचिका में कहा गया है कि 2012 में मणिनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके मोदी ने अपने हलफनामे में वह कॉलम खाली छोड़ दिया था जबकि उसमें उन्हें अपनी पत्नी का नाम लिखना था। मोदी ने अपनी पत्नी जसोदाबेन का नाम पहली बार उस वक्त लिखा जब 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपना पर्चा दाखिल किया था।
वर्मा ने दलील दी थी कि मोदी ने 2012 में अपनी वैवाहिक स्थिति के बारे में तथ्यों का खुलासा नहीं किया था जो जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध है और इसमें छह महीने की सजा का प्रावधान है।
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