यह ख़बर 17 जून, 2012 को प्रकाशित हुई थी

राष्ट्रपति चुनाव : फिर बेनतीजा रही एनडीए की बैठक

खास बातें

  • 'देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह अभी तय नहीं हुआ है' यह कहना है बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन का। मतलब बीजेपी की तरफ से साफ इशारा है कि वह प्रणब मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार तय करने की कोशिश में जुटी है।
नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) रविवार की बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पाया और कहा कि इसी मुद्दे पर फिर बैठक होगी।

दूसरी ओर, गठबंधन की सहयोगी शिव सेना ने बैठक से दूरी बनाए रखी।

'देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा यह अभी तय नहीं हुआ है' यह कहना है बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन का। मतलब बीजेपी की तरफ से साफ इशारा है कि वह प्रणब मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार तय करने की कोशिश में जुटी है।

बीजेपी का मानना है कि जिस यूपीए सरकार के कार्यकाल में देश में भ्रष्टाचार और मंहगाई के दलदल में फंसा है उस सरकार और उसके वित्त मंत्री के साथ खड़ा दिखने से उसे कोई राजनीतिक फायदा नहीं मिलने वाला।

एनडीए के घटक दलों की क़रीब दो घंटे चली बैठक में इस बात पर फैसला नहीं हो सका है कि प्रणब मुखर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारा जाए या नहीं। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ जेडी(यू) और अकाली दल उम्मीदवार नहीं उतारने पर ज़ोर दे रहे हैं। लेकिन बीजेपी प्रणब मुखर्जी को वॉकओवर देने के खिलाफ है।

‘प्रणब मुखर्जी अच्छे व्यक्ति हैं’ और  ‘उनके राजनीतिक क़द और अनुभव को देखते हुए उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा जाना चाहिए’ - इस तरह के आ रहे बयानों पर बीजेपी की दलील है कि ‘अटल बिहारी वाजपेयी भी अच्छे व्यक्ति और ऊंचे राजनीतिक क़द के रहे हैं लेकिन संसदीय चुनावों में कांग्रेस उनके खिलाफ भी उम्मीदवार उतारती रही है’।

सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ बीजेपी ने फिलहाल एपीजे अब्दुल कलाम को उम्मीदवार बनाने का विचार छोड़ दिया है क्योंकि कलाम ने उम्मीदवारी के लिए अपना नाम देने के पहले जीत का आंकड़ा अपने पक्ष में दिखाने की मांग की है जो कि बीजेपी या एनडीए अभी दिखा पाने की हालत में नहीं है। इसलिए अब सारा दारोमदार पीए संगमा पर जा टिका है।

पीए संगमा के पीछे अपनी ताक़त लगाना बीजेपी को मुनासिब इसलिए लग रहा है क्योंकि संगमा को बीजेडी और एआईएडीएमके का समर्थन पहले से हासिल है। बीजेपी को उम्मीद है कि जयललिता, नवीन पटनायक और ममता सबको एक प्लेटफार्म पर लाने से आने वाले दिनों में एनडीए का कुनबा बड़ा किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक़ संगमा के समर्थन में ममता बनर्जी के आने की संभावनाएं टटोली जा रहीं हैं ताकि संगमा की उम्मीदवारी को और मज़बूती दी जा सके।

लेकिन मुश्किल जेडी(यू) और ख़ासतौर पर नीतीश कुमार की तरफ से आ रही है। शनिवार को ही जेडी(यू) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने अपनी व्यक्तिगत राय जताते हुए प्रणब मुखर्जी के पक्ष में सर्वसम्मति बनाने की बात की थी। सूत्रों के मुताबिक़ नीतीश कुमार भी यही चाहते हैं। इसलिए एनडीए की बैठक में आडवाणी को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई कि वह नीतीश कुमार और प्रकाश सिंह बादल से बात कर उनको उम्मीदवार उतारने के लिए राज़ी करने की कोशिश करें। जैसा कि बैठक के बाद एनडीए के संयोजक शरद यादव ने बयान भी दिया कि किसी फैसले पर पहुंचने के पहले आडवाणी एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी बात करेंगे।

राजग संयोजक और जनता दल (यु) के अध्यक्ष शरद यादव ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक जल्द बुलाई जाएगी। उन्होंने कहा, "गठबंधन के सहयोगियों ने राष्ट्रपति चुनाव पर विस्तृत बातचीत की और तय किया कि निर्णय लेने के लिए एनडीए की अगली बैठक होने से पहले आडवाणी सभी घटकों से बातचीत करेंगे।"

यादव ने कहा, "आडवाणी एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य दलों से बातचीत करेंगे। इस सम्बंध में निर्णय लेने के लिए कुछ समय बाद एनडीए की बैठक फिर होगी। जो दिल्ली से बाहर हैं उनसे भी परामर्श लिया जाएगा।"

यादव ने हालांकि कहा कि बैठक में उपराष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा नहीं हुई। उपराष्ट्रपति का चुनाव इस वर्ष बाद में होने वाला है।

आडवाणी के आवास पर चली दो घंटे की बैठक में जद (यू), शिरोमणि अकाली दल, हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया।

इन नेताओं में आडवाणी और यादव के अलावा भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी, भाजपा नेता सुषमा स्वराज व अरुण जेटली, पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह, जद (यू) के शिवानंद तिवारी, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल और जनता पार्टी के सुब्रह्मण्यम स्वामी शामिल थे।

शिव सेना ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि वह सम्भवत: एनडीए द्वारा राष्ट्रपति चुनाव पर तत्काल निर्णय न लेने को लेकर नाराज है।

शिव सेना सम्भवत: पीए संगमा को राजग द्वारा समर्थन दिए जाने के भी खिलाफ है, जिन्हें ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की प्रमुख जे. जयललिता और बीजू जनता दल (बीजद) के प्रमुख नवीन पटनायक ने उम्मीदवार के रूप में पेश किया है।

शिव सेना नेता संजय राउत से उनके रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "इस मुद्दे पर पार्टी प्रमुख बाल ठाकरे फैसला लेंगे।"

पिछले राष्ट्रपति चुनाव में शिव सेना भाजपा के खिलाफ चली गई थी और उसने कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा पाटील को समर्थन दिया था, क्योंकि वह महाराष्ट्र से हैं।   

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि शनिवार को हुई बैठक में आडवाणी और सुषमा स्वराज ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा का नाम सुझाया था। उन्होंने संगमा से तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से बातचीत करने को कहा था।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी ममता और वाईएसआर कांग्रेस के संस्थापक जगनमोहन रेड्डी से भी इस मुद्दे पर बातचीत करेगी।
भाजपा का लक्ष्य इन दलों से रिश्ते मजबूत कर भविष्य में उन्हें राजग में शामिल करना है।

एनडीए के एक नेता ने कहा, "हम गैर-कांग्रेस दलों से परामर्श करेंगे। आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उनसे रिश्ते मजबूत करना हमारा लक्ष्य है।"

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उल्लेखनीय है कि केंद्र में सत्तारूढ़ यूपीए ने प्रणब मुखर्जी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। मतदान 19 जुलाई को होना है, जिसके लिए नामांकन पत्र 30 जून तक दाखिल किया जाएगा।