
- चिराग पासवान के तीखे बयानों ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं
- बीजेपी नेतृत्व चिराग को संयम बरतने और चुनाव में एनडीए की एकजुटता बनाए रखने पर काम कर रही है
- पीएम मोदी की रैलियों के जरिए एनडीए सभी 243 सीटों पर एकजुट उम्मीदवार खड़ा करने का प्रयास कर रहा है
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान के बयानों ने एनडीए का सिरदर्द बढ़ा दिया है. बीच-बीच में वे नीतीश सरकार के शासन में कानून-व्यवस्था को लेकर निशाना साधते हैं तो वहीं, कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद विधानसभा का चुनाव लड़ने की बात कह कर एनडीए में नेतृत्व को लेकर भ्रम भी पैदा कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार बीजेपी नेतृत्व से जल्दी ही उनकी मुलाकात होने जा रही है, जिसमें उन्हें चुनाव के मद्देनजर एनडीए की एकजुटता और नेतृत्व को लेकर साफगोई बनाए रखने का संदेश दिया जा सकता है.
चिराग पासवान की ये छवि गठबंधन के लिए ठीक नहीं
सूत्रों के अनुसार चिराग पासवान के कामकाज की ये शैली उनकी युवा छवि और तीखे तेवरों से मेल खाती है, लेकिन गठबंधन की सेहत के लिए यह ठीक नहीं है. इससे विपक्षी महागठबंधन को नीतीश सरकार पर वार करने का अवसर मिल जाता है. चुनाव से ठीक पहले चिराग पासवान के तीखे तेवर एनडीए की एकजुटता पर भी सवालिया निशाना लगा रहे हैं और चिराग के भावी कदम को लेकर असमंजस पैदा कर रहे हैं.
बिहार के लिए एनडीए की एकजुटता जरूरी
हालांकि बीजेपी की ओर से पहले भी उन्हें ये बताया गया कि चुनाव के मद्देनजर उन्हें संयम बरतना होगा. लेकिन इस बार दो टूक शब्दों में यही बात कहने की तैयारी है. दरअसल, बीजेपी का आंकलन है कि बिहार में दोनों गठबंधनों के बीच लड़ाई बेहद करीबी होती है और थोड़े वोट ऊपर-नीचे होने से ही परिणाम पर असर पड़ता है. ऐसे में एनडीए की एकजुटता और एक सुर में बोलना काफी महत्वपूर्ण है.
गठबंधन के नेताओं ने साझा कार्यक्रम किए
इसके लिए जमीन पर लंबे समय से काम भी किया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी की हर रैली को एनडीए की एकता के उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है. साथ ही, हर जिले में गठबंधन के नेताओं ने साझा कार्यक्रम किए हैं. एनडीए अब ये संदेश दे रहा है कि सभी 243 सीटों पर बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी, आरएलपी या हम का नहीं बल्कि एनडीए का उम्मीदवार खड़ा होगा. हालांकि टिकट बंटवारे के समय कुछ जगहों पर बगावत हो सकती है लेकिन मोटे तौर पर एनडीए की एकजुटता बनाए रखने का प्रयास होगा. सीटों के बंटवारे के लिए भी फार्मूला तय है और चुनाव के ऐलान के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
चिराग के तेवर से ब्रांड नीतीश की छवि होती खराब
चिराग पासवान के बयानों और आक्रामक तेवरों ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है. वैसे जानकार कहते हैं कि चिराग के तेवर दोधारी तलवार हैं. जहां एक ओर वे पासवान वोटों को एकजुट रखने और उनके समर्थकों में जोश भरने का काम करते हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर जेडीयू के नेताओं को ये तेवर रास नहीं आते, क्योंकि इससे नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह लगता है और ब्रांड नीतीश को चोट पहुंचती है. वैसे रामविलास पासवान के दौर से ही जेडीयू से उनके रिश्ते सहज नहीं रहे हैं और बीजेपी बीच-बचाव करती आई है. एक बार फिर ये जिम्मा बीजेपी संभालने जा रही है.
विधानसभा चुनाव लड़ने का दांव
चिराग पासवान के समर्थक दावा करते हैं कि वे विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. हालांकि खुद चिराग कहते हैं कि इस बारे में पार्टी फैसला करेगी. राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर हैरानी है कि चिराग विधानसभा का चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं, जब तक कि वो मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदार न हो. लेकिन मौजूदा समय में इस बात की कोई संभावना नहीं, क्योंकि एनडीए कई बार साफ कर चुका है कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा.
बीजेपी का स्पष्ट तौर पर मानना है कि ब्रांड नीतीश बरकरार है. सर्वे में भी यही बात सामने आती है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता बरकरार है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार के स्वास्थ्य के बारे में विपक्ष के आरोप उसी पर भारी पड़ेंगे क्योंकि जनता ऐसे मुद्दों को पसंद नहीं करती है.
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