महाराष्ट्र में बिजली वितरण कंपनी महावितरण के ग्राहकों पर 50 हजार करोड़ रुपये के बिजली बिल के बकाये को लेकर राजनीति तेज हो गई है. आम जनता को बिजली के बिल में कोई राहत न मिलने के संकेतों के बीच विपक्ष ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं. वहीं सरकार ने पिछली सरकार के दौरान बकाया भुगतान 36 हजार करोड़ रुपये पहुंचने के कारणों की जांच के आदेश दे दिए हैं.
यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र में कब और कैसे खुलेंगे स्कूल, स्थानीय अधिकारी करेंगे फैसला
महा विकास अघाडी ने पिछले सरकार के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. मौजूदा बकाया कुल 51 हज़ार करोड़ रुपयों का है. लॉकडाउन के समय महाराष्ट्र के लोगों को बिजली के महंगे बिल मिले थे जिससे वो नाराज़ थे. राज्य सरकार ने पहले राहत देने की बात कही थी, लेकिन बाद में राज्य के ऊर्जा मंत्री ने कह दिया कि राहत देना संभव नहीं है. सरकार के इस निर्णय पर विपक्ष ने सवाल उठाया तो महाराष्ट्र सरकार ने पिछले सरकार के कार्यकाल में बकाया 36 हज़ार करोड़ के बिल के भुगतान के लिए जाँच के आदेश दे दिए हैं.
हम जांच करेंगे-पिछली सरकार में कैसे हुआ खर्च
ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा कि पिछले सरकार के 5 साल के कार्यकाल में बिजली विभाग की ओर से किस प्रकार का खर्च हुआ, किस प्रकार का नुकसान हुआ, इसका लेखा-जोखे की जांच होनी चाहिए, ताकि बार बार जो हमें कहा जाता है कि हमें कुछ आता नहीं है, सारे ज्ञानी वहां पर हैं तो हमें हमारा ज्ञान जानने के लिए यह आदेश देना पड़ेगा. नितिन राउत के मुताबिक, 2014 से पहले महावितरण में कुल 14,154.50 करोड़ रुपयों का भुगतान बकाया था. लेकिन 2014 से 2019 के समय कुल 36,992 करोड़ रुपयों के बिजली के बिल का भुगतान नहीं हुआ. महाराष्ट्र अब यह राशि 51,146.50 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
पिछली सरकार में मुनाफे में थी कंपनी
ठाकरे सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं कि पिछले सरकार के कार्यकाल में आखिर इतने बड़े पैमाने में बढ़ोतरी कैसे हुई. वहीं बीजेपी इस मामले में राज्य सरकार पर अपने वादे से मुकरने का आरोप लगाया है. बीजेपी प्रवक्ता विश्वास पाठक ने कहा कि बिजली पर ये लोग पिछले सरकार को कह रहे हैं, लेकिन आप पिछली सरकार की बैलेंस शीट को देखेंगे तो पता चलेगा कि कंपनी प्रॉफिट में थी, कंपनी ने कनेक्शन बढ़ाए, हम जांच के लिए तैयार हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं