पुलिस ने हिंदूओं के पलायन के दावे को अस्वीकार किया है
पश्चिमी उत्तरप्रदेश में शामली के कैराना इलाके में कई हिंदू परिवारों की शिकायत है कि पिछले दो साल से उन पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। इस वजह से वहां के ज्यादातर हिंदू परिवारों को इलाका जबरन खाली करना पड़ रहा है। पुलिस इस मामले में मिली शिकायतों की जांच कर रही है। इलाके से बीजेपी के सांसद हुकुम सिंह का आरोप है कि 85 प्रतिशत मुसलमान आबादी वाले इस क्षेत्र में हमले के बाद करीब 346 हिंदू परिवारों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा है।
इस दावे से पुलिस का इंकार
हालांकि पुलिस इतनी बड़ी तादाद में लोगों के पलायन की ख़बर से इनकार कर रही है। क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अफसर अशोक कुमार राघव का कहना है कि 'मैंने एक लिस्ट मांगी है और हम उस सूची के हर नाम की जांच करेंगे। वहां से कुछ लोग मुझसे मिलने आए थे और उन्होंने कहा कि वह अपना घर छोड़कर नहीं भागे हैं लेकिन फिर भी उनका नाम लिस्ट में जोड़ दिया गया है।'
बीजेपी का कहना है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजा है। आयोग ने पुलिस से इस आरोप का चार हफ्ते में जवाब मांगा है कि किसी एक धर्म के परिवारों को डर और अपराध की वजह से इलाके को छोड़कर जाना पड़ रहा है। साथ ही बीजेपी ने सपा पर भी हिंदूओं के खिलाफ हिंसा उकसाने वालों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। हालांकि यूपी सरकार ने इस दावे को सिरे से नकारा है। केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान कहते हैं 'सरकार की नाक के नीचे गुंडागर्दी हुई है। यह तो कानून-व्यवस्था का हाल है। यूपी सरकार दोषियों को बचा रही है।'
वहीं समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा है कि 'यह घटना पश्चिमी यूपी में ध्रुवीकरण करने की एक कोशिश है। यह वही बीजेपी एमपी हैं जिन्होंने कहा था कि वह मुजफ्फरनगर के राहत शिविर में रहने वालों को वोट नहीं डालने देंगे। अलग अलग घटनाओं को इस मामले में ज़बरदस्ती जोड़ा जा रहा है और कुछ ज्यादा ही उछाला जा रहा है।'
इस दावे से पुलिस का इंकार
हालांकि पुलिस इतनी बड़ी तादाद में लोगों के पलायन की ख़बर से इनकार कर रही है। क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अफसर अशोक कुमार राघव का कहना है कि 'मैंने एक लिस्ट मांगी है और हम उस सूची के हर नाम की जांच करेंगे। वहां से कुछ लोग मुझसे मिलने आए थे और उन्होंने कहा कि वह अपना घर छोड़कर नहीं भागे हैं लेकिन फिर भी उनका नाम लिस्ट में जोड़ दिया गया है।'
बीजेपी का कहना है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजा है। आयोग ने पुलिस से इस आरोप का चार हफ्ते में जवाब मांगा है कि किसी एक धर्म के परिवारों को डर और अपराध की वजह से इलाके को छोड़कर जाना पड़ रहा है। साथ ही बीजेपी ने सपा पर भी हिंदूओं के खिलाफ हिंसा उकसाने वालों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। हालांकि यूपी सरकार ने इस दावे को सिरे से नकारा है। केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान कहते हैं 'सरकार की नाक के नीचे गुंडागर्दी हुई है। यह तो कानून-व्यवस्था का हाल है। यूपी सरकार दोषियों को बचा रही है।'
वहीं समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा है कि 'यह घटना पश्चिमी यूपी में ध्रुवीकरण करने की एक कोशिश है। यह वही बीजेपी एमपी हैं जिन्होंने कहा था कि वह मुजफ्फरनगर के राहत शिविर में रहने वालों को वोट नहीं डालने देंगे। अलग अलग घटनाओं को इस मामले में ज़बरदस्ती जोड़ा जा रहा है और कुछ ज्यादा ही उछाला जा रहा है।'
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