बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह (फाइल फोटो)
मथुरा:
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त एवं बागपत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सत्यपाल सिंह ने सेना एवं पुलिस के जवानों की शहादत पर दिए जाने वाले सम्मान एवं उनके परिजनों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में भेदभाव का जिक्र करते हुए एक समान सम्मान नीति बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
सांसद सिंह ने कहा, ‘देश की सीमाओं पर जान कुर्बान करने वाले सैनिकों एवं आंतरिक सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था के लिए प्राणों की बलि देने वाले जवानों तथा उनके अधिकारियों के बीच पद, रैंक एवं वेतन के अनुसार तुलना नहीं की जानी चाहिए। इन सभी को सम्मान देने में एकरूपता लाई जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘शहादत तो शहादत है, फिर चाहे वह सेना के सैनिक की हो या किसी राज्य पुलिस के जवान की। ऐसे ही शहीद होने वाला सेना का अधिकारी हो या पुलिस का कोई उच्चाधिकारी। सभी शहीदों को एकसमान सम्मान दिया जाना चाहिए।’ सीमा सुरक्षा बल की 165वीं बटालियन के मुख्यालय पर ‘पुलिस शहीदी दिवस’ के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में निकटवर्ती जनपदों के 33 परिवारों को सम्मानित करने के लिए सिंह यहां आए थे।
आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, एटा, मैनपुरी व भरतपुर के इन परिवारों का कोई न कोई सदस्य बीएसएफ में रहते हुए देश के लिए शहीद हुआ है। संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सिंह ने कहा, ‘सरकार ने जिस प्रकार सैनिकों के पेंशन मामले में वर्षों से चली आ रही विसंगति को दूर करने के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन’ की मांग का समर्थन किया है। विशेषज्ञ समिति की सलाह लेकर हल निकालने का प्रयास किया है, उसी प्रकार देश में सेना तथा विभिन्न पुलिस बलों में शहादत देने वाले अधिकारियों व जवानों को एक जैसा सम्मान दिए जाने का भी प्रावधान लागू करे।’
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों के परिजनों को 10 लाख रुपये के स्थान पर 20 लाख रुपये सहायता राशि देने के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा सांसद ने कहा, ‘अखिलेश सरकार का पुलिस शहीदों के संबंध में लिए गए निर्णय स्वागत योग्य हैं।’
इससे पूर्व सिंह ने सीमा सुरक्षा बल की 165वीं बटालियन के स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित समारोह में शहादत देने वाले जवानों के परिजनों को सम्मानित करते हुए कहा, ‘आजादी से अब तक देश के लिए जान कुर्बान करने वालों में पुलिस के जवानों की संख्या, सीमाओं पर प्राण गवांने वालों से चार गुना अधिक है।’ उन्होंने कहा, ‘जिन परिवारों के जवानों ने देश के लिए जान दी है उन्हें शोकाकुल होने के बजाए उन पर गर्व करना चाहिए कि उनके किसी सदस्य ने अपने जीवन का अमूल्य कार्य कर दिखाया है। उन्हें खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। ऐसे परिवारों की मदद करना अन्य नागरिकों के लिए पुण्य का कार्य है।’
सांसद सिंह ने कहा, ‘देश की सीमाओं पर जान कुर्बान करने वाले सैनिकों एवं आंतरिक सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था के लिए प्राणों की बलि देने वाले जवानों तथा उनके अधिकारियों के बीच पद, रैंक एवं वेतन के अनुसार तुलना नहीं की जानी चाहिए। इन सभी को सम्मान देने में एकरूपता लाई जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘शहादत तो शहादत है, फिर चाहे वह सेना के सैनिक की हो या किसी राज्य पुलिस के जवान की। ऐसे ही शहीद होने वाला सेना का अधिकारी हो या पुलिस का कोई उच्चाधिकारी। सभी शहीदों को एकसमान सम्मान दिया जाना चाहिए।’ सीमा सुरक्षा बल की 165वीं बटालियन के मुख्यालय पर ‘पुलिस शहीदी दिवस’ के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में निकटवर्ती जनपदों के 33 परिवारों को सम्मानित करने के लिए सिंह यहां आए थे।
आगरा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, एटा, मैनपुरी व भरतपुर के इन परिवारों का कोई न कोई सदस्य बीएसएफ में रहते हुए देश के लिए शहीद हुआ है। संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सिंह ने कहा, ‘सरकार ने जिस प्रकार सैनिकों के पेंशन मामले में वर्षों से चली आ रही विसंगति को दूर करने के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन’ की मांग का समर्थन किया है। विशेषज्ञ समिति की सलाह लेकर हल निकालने का प्रयास किया है, उसी प्रकार देश में सेना तथा विभिन्न पुलिस बलों में शहादत देने वाले अधिकारियों व जवानों को एक जैसा सम्मान दिए जाने का भी प्रावधान लागू करे।’
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों के परिजनों को 10 लाख रुपये के स्थान पर 20 लाख रुपये सहायता राशि देने के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा सांसद ने कहा, ‘अखिलेश सरकार का पुलिस शहीदों के संबंध में लिए गए निर्णय स्वागत योग्य हैं।’
इससे पूर्व सिंह ने सीमा सुरक्षा बल की 165वीं बटालियन के स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित समारोह में शहादत देने वाले जवानों के परिजनों को सम्मानित करते हुए कहा, ‘आजादी से अब तक देश के लिए जान कुर्बान करने वालों में पुलिस के जवानों की संख्या, सीमाओं पर प्राण गवांने वालों से चार गुना अधिक है।’ उन्होंने कहा, ‘जिन परिवारों के जवानों ने देश के लिए जान दी है उन्हें शोकाकुल होने के बजाए उन पर गर्व करना चाहिए कि उनके किसी सदस्य ने अपने जीवन का अमूल्य कार्य कर दिखाया है। उन्हें खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। ऐसे परिवारों की मदद करना अन्य नागरिकों के लिए पुण्य का कार्य है।’
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