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This Article is From Nov 23, 2013

चुनाव में बाधा पहुंचा सकते हैं आतंकवादी : प्रधानमंत्री

चुनाव में बाधा पहुंचा सकते हैं आतंकवादी : प्रधानमंत्री
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव और वर्तमान विधानसभा चुनावों में आतंकवादी संगठन बाधा उत्पन्न करने के प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों को सतर्क और इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने राज्य पुलिस प्रमुखों के साथ बैठक में कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और दूसरे आतंकवादी संगठनों के फिर से सक्रिय होने और देश में घुसपैठ के आए दिन बढ़ते प्रयासों को देखते हुए सुरक्षा बलों को निगरानी और आपसी समन्वय बढ़ाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बाधा पहुंचाने के प्रयास किए जा सकते हैं। सुरक्षा बलों को सतर्क रहने और शांति-व्यवस्था को बिगड़ने से रोकने के लिए पहले से तैयार रहना पड़ेगा।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर खासकर पुंछ जिले और जम्मू क्षेत्र में लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन होता रहा है।"

हैदराबाद, बेंगलुरू, बोधगया और पटना में पिछले दिनों हुए आतंकवादी हमलों के मद्देनजर सिंह ने कहा, "हमलों में गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों के बयानों से हमारी आशंका की पुष्टि हुई है कि भारत में आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं।"

मनमोहन ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में सितंबर में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इस तरह के मामले से कड़ाई से निपटने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सितंबर में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हजारों निर्दोष लोगों को विस्थापित होना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सांप्रदायिक समस्याओं से कड़ाई से निपटे।

प्रधानमंत्री ने कहा, "उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हाल की हिंसा के दौरान हमने सोशल मीडिया और एसएमएस के दुरुपयोग को देखा।" उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष ऐसे ही गलत सूचना के प्रसारण के कारण कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों से पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों का व्यापक पैमाने पर पलायन हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात की व्यापक स्वीकार्यता है कि सामाजिक मीडिया ज्ञान, सूचना और विचार के आदान-प्रदान का मंच है और रचनात्मक रूप से उसका उपयोग किया जा सकता है।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए हमें ऐसे रचनात्मक समाधान की जरूरत है जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गैरजरूरी रोक न लगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में एक युवती के साथ हुए दुष्कर्म और उसकी हत्या ने महिलाओं के खिलाफ अपराध और उनकी सुरक्षा के मसले पर प्रकाश डाला और लोगों की पुलिस से अपेक्षाएं बढ़ी हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले वर्ष दिसंबर में दिल्ली में एक युवती के साथ हुए बर्बरतापूर्वक दुष्कर्म के बाद न सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को केंद्र में ला दिया है, बल्कि इस तरह के अपराधों से बचाव में लोगों की पुलिस से अपेक्षाएं भी बढ़ा दी हैं।"

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "हमने हाल ही में कई कानून पारित कर इस तरह के अपराधों के लिए सख्त सजा के प्रावधान किए हैं, तथा जांच एवं सुनवाई के दौरान पीड़ित व्यक्ति के साथ अधिक संवेदनशीलता भी सुनिश्चित की है।"

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 16 दिसंबर को एक 23 वर्षीय युवती के साथ चलती बस में बर्बरतापूर्वक दुष्कर्म करने वाले सभी छह अपराधियों को सजा सुना दी गई है। पीड़िता की 29 दिसंबर को मृत्यु हो गई।

दोषियों में चार को मृत्युदंड दिया गया है, जबकि एक नाबालिग को तीन वर्ष के लिए सुधार गृह भेज दिया गया है। एक आरोपी ने न्यायिक हिरासत के दौरान तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में विद्रोह, जबरन वसूली और जनाक्रोश ऐसे मुख्य विघटनकारी तत्व हैं जिनके कारण सुरक्षा स्थितियां जटिल बनी हुई हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, "सरकार की तरफ से किए गए लगातार प्रयासों के कारण ही विद्रोही एवं जातीय अलगावावादी समूहों के बीच बातचीत में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।"

मनमोहन सिंह ने आगे कहा, "असम का निचला संवेदनशील क्षेत्र और जातीय एवं सांप्रदायिक तनाव वाला कर्बी आंगलांग क्षेत्र, बोडो इलाके में जनजातीय एवं गैर-जनजातीय समुदाय के बीच बढ़ता अविश्वास, मेघालय के गारो में चल रहा विद्रोह, मणिपुर में गैर-मणिपुरी नागरिकों को लगातार निशाना बनाया जाना भी महती चिंता की बातें हैं।"

प्रधानमंत्री ने नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सुरक्षा बलों को स्थानीय लोगों के सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाए जाने पर भी जोर दिया।

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