प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत को अपने विकास कार्यक्रम में आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीति को शामिल करने की जरूरत है, क्योंकि मौसम संबंधित आपदाएं बढ़ती जा रही हैं।
मनमोहन ने यहां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की पांचवी बैठक को संबोधित करते हुए देश की आपदा प्रबंधन क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
यह बैठक जून में उत्तराखंड में आई बाढ़ और ओडिशा व आंध्र प्रदेश में इस महीने आया फेलिन तूफान से हुई तबाही की समीक्षा करने के लिए आयोजित की गई थी।
मनमोहन ने कहा, "हमें पता है कि दुनियाभर में मौसम संबंधित आपदाएं बाढ़ पर हैं। इस तरह की आपदाएं गरीबों और वंचितों को बुरी तरीके से प्रभावित करती हैं। इसलिए यह अधिक आवश्यक है कि हम अपनी आपदा प्रबंधन क्षमताओं को तेजी से बढ़ाएं।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीति को अपने विकास कार्यक्रमों और नीतियों से जोड़ने की जरूरत है।" उन्होंने कहा, "अपनी चेतावनी प्रणालियों और प्रतिक्रिया तंत्रों को और मजबूत बनाया जाना चाहिए ताकि हम आपदाओं के नकारात्मक प्रभाव को घटा सकें।"
एनडीएमए के उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी ने बैठक के निष्कर्षो के बारे में बताया कि खासतौर से आपदा शमन परियोजनाओं के लिए एक राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (एनडीएमएफ) स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में अन्य जिन बिंदुओं पर सहमति बनी, उनमें बहुउद्देश्यीय बहु-आपदा आश्रयों का निर्माण, संपर्क प्रणाली और मौसम अनुमान अधोसंरचना में सुधार तथा आपदा प्रबंधन के लिए मंत्रालयों के वार्षिक बजट में निधि का प्रावधान किया जाना शामिल हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं