नई दिल्ली:
दिल्ली में नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर यानी एनसीटीसी पर मुख्यमंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर का मकसद आंतकवाद के खिलाफ हमारी ताकत को मजबूत करना है और यह राज्य बनाम केंद्र का मुद्दा नहीं है। पीएम ने कहा कि एनसीटीसी का उद्देश्य राज्यों के अधिकारों में दखल देना नहीं, बल्कि आतंकवाद के मु्द्दे पर तालमेल बढ़ाना है। पीएम ने राज्यों से अपील की कि इस काम में राज्य सरकारों का सहयोग जरूरी है।
उन्होंने कहा कि एनसीटीसी की अवधारणा मंत्री समूह और प्रशासनिक सुधार आयोग की ओर से आई, जिन्होंने कारगिल में मिले सबक के बाद काम शुरू किया। सिंह ने कहा, हमारा मानना है कि एनसीटीसी अपने स्वरूप और परिचालन के पहलुओं सहित राज्यों की आतंकवाद रोधी क्षमताओं को मजबूत करेगा न कि उनकी जड़ें खोदेगा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों का ध्यान मानक कार्रवाई प्रक्रिया (एसओपी) की ओर आकर्षित किया, जिसका मसौदा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वितरित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मसौदा एनसीटीसी के सांगठनिक ढांचे और उसकी प्रस्तावित अधिकारों और कामकाज को लेकर केंद्र-राज्य के बीच समन्वय के विस्तृत प्रावधानों को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, एनसीटीसी सुचारू और प्रभावशाली रूप से काम कर सके, इसके लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके अधिकारों और कामकाज को लेकर हमारे बीच आम सहमति बने। हम चाहेंगे कि राज्य सरकारें इस पहल में हमारे साथ हों। हमारा मानना है कि आतंकवाद रोधी प्रयासों को एनसीटीसी और मजबूत करेगा। लगभग 12 मुख्यमंत्रियों द्वारा एनसीटीसी के गठन का विरोध किए जाने के बाद बुलाई गई इस बैठक में सिंह ने कहा कि एनसीटीसी का तंत्र हर राज्य की एजेंसी को आतंकवादी खतरे का बड़ा परिदृश्य देखने की क्षमता देगा और इससे आतंकवाद रोधी क्षमताओं को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने साफ किया कि आतंकवाद जैसी चुनौती से केंद्र और राज्य अकेले नहीं लड़ सकते, इसलिए यह जरूरी है कि एनसीटीसी पर आम सहमति बनाई जाए। पीएम ने कहा कि हमारी सरकार राज्यों को आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई को लड़ने में पूरा सहयोग करेगी। वैसे ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी ने अपने तेवर में कोई नरमी नहीं दिखाई और साफ शब्दों में एनसीटीसी को वापस लेने की मांग की।
केंद्र ने हालांकि आश्वासन दिया है कि किसी भी राज्य में कार्रवाई से पहले संबद्ध राज्य सरकार को विश्वास में लिया जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी चिदंबरम कुछ उन मुख्यमंत्रियों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे, जो एनसीटीसी का विरोध कर रहे हैं। इन मुख्यमंत्रियों का कहना है कि एनसीटीसी राज्यों के अधिकारों में अतिक्रमण करेगा और यह देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में गृहमंत्री ने कहा था कि एनसीटीसी के परिचालन को लेकर मानक कार्रवाई प्रक्रिया (एसओपी) के दो मसौदे राज्यों को भेजे गए हैं और इन मसौदों से उन मुख्यमंत्रियों की आशंकाओं का समाधान होगा, जिन्होंने चिंता व्यक्त की है। चिदंबरम ने कहा था कि उन्हें लगता है कि एसओपी के मसौदे पढने के बाद काफी आशंकाओं का समाधान हो जाएगा और 5 मई की बैठक में मुख्यमंत्री यदि एसओपी पर कोई सुझाव देते हैं, तो उन्हें सुना जाएगा और जहां तक संभव होगा, उन्हें मसौदे में शामिल किया जाएगा।
केंद्र ने एक छह सूत्रीय एसओपी बनाया है, जिसके तहत एनसीटीसी काम करेगा। एनसीटीसी में एक स्थायी काउंसिल होगी, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के अफसर होंगे। राज्यों के एटीएस के मुखिया अपने−अपने राज्य में एनसीटीसी को हेड करेंगे। एनसीटीसी के तहत होने वाली हर कार्रवाई की जानकारी राज्य के डीजीपी को दी जाएगी। अगर किसी ऑपरेशन से पहले सूचना नहीं दी जा सकी, तो ऑपरेशन के फौरन बाद ये सूचना दी जाएगी। इसके अलावा गिरफ्तार किए गए लोगों और जब्त सामान को सबसे करीबी पुलिस स्टेशन में जमा कर दिया जाएगा।
(इनपुट भाषा से भी)
उन्होंने कहा कि एनसीटीसी की अवधारणा मंत्री समूह और प्रशासनिक सुधार आयोग की ओर से आई, जिन्होंने कारगिल में मिले सबक के बाद काम शुरू किया। सिंह ने कहा, हमारा मानना है कि एनसीटीसी अपने स्वरूप और परिचालन के पहलुओं सहित राज्यों की आतंकवाद रोधी क्षमताओं को मजबूत करेगा न कि उनकी जड़ें खोदेगा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों का ध्यान मानक कार्रवाई प्रक्रिया (एसओपी) की ओर आकर्षित किया, जिसका मसौदा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वितरित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मसौदा एनसीटीसी के सांगठनिक ढांचे और उसकी प्रस्तावित अधिकारों और कामकाज को लेकर केंद्र-राज्य के बीच समन्वय के विस्तृत प्रावधानों को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, एनसीटीसी सुचारू और प्रभावशाली रूप से काम कर सके, इसके लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके अधिकारों और कामकाज को लेकर हमारे बीच आम सहमति बने। हम चाहेंगे कि राज्य सरकारें इस पहल में हमारे साथ हों। हमारा मानना है कि आतंकवाद रोधी प्रयासों को एनसीटीसी और मजबूत करेगा। लगभग 12 मुख्यमंत्रियों द्वारा एनसीटीसी के गठन का विरोध किए जाने के बाद बुलाई गई इस बैठक में सिंह ने कहा कि एनसीटीसी का तंत्र हर राज्य की एजेंसी को आतंकवादी खतरे का बड़ा परिदृश्य देखने की क्षमता देगा और इससे आतंकवाद रोधी क्षमताओं को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने साफ किया कि आतंकवाद जैसी चुनौती से केंद्र और राज्य अकेले नहीं लड़ सकते, इसलिए यह जरूरी है कि एनसीटीसी पर आम सहमति बनाई जाए। पीएम ने कहा कि हमारी सरकार राज्यों को आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई को लड़ने में पूरा सहयोग करेगी। वैसे ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी ने अपने तेवर में कोई नरमी नहीं दिखाई और साफ शब्दों में एनसीटीसी को वापस लेने की मांग की।
केंद्र ने हालांकि आश्वासन दिया है कि किसी भी राज्य में कार्रवाई से पहले संबद्ध राज्य सरकार को विश्वास में लिया जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी चिदंबरम कुछ उन मुख्यमंत्रियों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे, जो एनसीटीसी का विरोध कर रहे हैं। इन मुख्यमंत्रियों का कहना है कि एनसीटीसी राज्यों के अधिकारों में अतिक्रमण करेगा और यह देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा।
इस सप्ताह की शुरुआत में गृहमंत्री ने कहा था कि एनसीटीसी के परिचालन को लेकर मानक कार्रवाई प्रक्रिया (एसओपी) के दो मसौदे राज्यों को भेजे गए हैं और इन मसौदों से उन मुख्यमंत्रियों की आशंकाओं का समाधान होगा, जिन्होंने चिंता व्यक्त की है। चिदंबरम ने कहा था कि उन्हें लगता है कि एसओपी के मसौदे पढने के बाद काफी आशंकाओं का समाधान हो जाएगा और 5 मई की बैठक में मुख्यमंत्री यदि एसओपी पर कोई सुझाव देते हैं, तो उन्हें सुना जाएगा और जहां तक संभव होगा, उन्हें मसौदे में शामिल किया जाएगा।
केंद्र ने एक छह सूत्रीय एसओपी बनाया है, जिसके तहत एनसीटीसी काम करेगा। एनसीटीसी में एक स्थायी काउंसिल होगी, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के अफसर होंगे। राज्यों के एटीएस के मुखिया अपने−अपने राज्य में एनसीटीसी को हेड करेंगे। एनसीटीसी के तहत होने वाली हर कार्रवाई की जानकारी राज्य के डीजीपी को दी जाएगी। अगर किसी ऑपरेशन से पहले सूचना नहीं दी जा सकी, तो ऑपरेशन के फौरन बाद ये सूचना दी जाएगी। इसके अलावा गिरफ्तार किए गए लोगों और जब्त सामान को सबसे करीबी पुलिस स्टेशन में जमा कर दिया जाएगा।
(इनपुट भाषा से भी)
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