प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
उरी में हुए आतंकी हमले में 18 जवानों के शहीद होने के बाद जब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह एक साथ दिल्ली लौट रहे थे तभी योजना बन गई थी कि पाकिस्तान को सबक सिखाना है. रक्षा मंत्री ने सेना प्रमुख से कहा था कि सेना क्या-क्या कर सकती है.
गत 19 सितंबर को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी की मीटिंग थी और रक्षा मंत्री को अपनी योजना का खाका पेश करना था. रातोंरात सेना ने सरकार को बता दिया कि कैसे पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है. दिल्ली में 19 सितंबर को सीसीएस की बैठक में इसको लेकर हरी झंडी मिल चुकी थी. सेना के स्पेशल फोर्सेज के जवानों ने एलओसी पार करके सर्जिकल ऑपरेशन को ऐसे ही अंजाम नही दिया, इसकी तैयारी पिछले सात-आठ दिनों से चल रही थी.
पहले खुफिया जानकारी जुटाई गई कि एलओसी के पार पास में कौन-कौन से लॉन्चिंग पैड हैं और वहां पर कितनी संख्या में आतंकी हैं. इसके लिए एनटीआरओ और रॉ की मदद ली गई. सेना ने अपने खुफिया विभाग की मदद ली ताकि पक्की जानकारी मिल जाए कि कहां-कहां आतंकी हैं और कैसे वहां तक सुरक्षित पहुंचा जा सकता है. सेना के जवानों को केवल आतंकियों के लॉन्चिंग पैडों पर ही हमला नहीं करना था बल्कि यह भी देखना था कि कहीं पाकिस्तानी सेना जवाबी कार्रवाई न कर दे. पाकिस्तान का ध्यान बंटाने के लिए विशेष व्यापार दर्जा और सिंधु जल समझौता मुद्दा जोरशोर से उठाया गया. सार्क के बायकॉट की बात की गई. यह सब एक सोची समझी कूटनीति का हिस्सा था.
पाकिस्तान को ऐसा लगा कि भारत ऐसे ही सिर्फ बयानबाजी या फिर डोजियर देगा. लेकिन बुधवार को दोपहर के बाद एलओसी के पार सर्जिकल स्ट्राइक करने का अंतिम फैसला ले लिया गया. सरकार को बताया गया कि क्या-क्या नुकसान हो सकता है और इसको कैसे अंजाम दिया जाए. उसी दिन दोपहर दो बजे के बाद सीमा पर स्पेशल फोर्सेज मूवमेंट शुरू हुआ. सात-आठ लक्ष्य निर्धारित किए गए. अलग-अलग स्थानों पर रात 10 से 10.30 के आसपास पुंछ से लेकर कुपवाड़ा तक तीन टीमें आगे बढ़ीं. उसी वक्त कुपवाड़ा में ध्यान बंटाने के लिए मोर्टार से फायरिंग की गई. फिर पुंछ के बलनोई और नंगी टेकरी से एक टीम ने एलओसी पार की. दूसरी टीम उड़ी और तुतमारी गली के बीच नौगाम सेक्टर से घुसी और तीसरी टीम तीसरा कुपवाड़ा के पास से आगे गई.
रात में ठीक दो बजे सारी टीमें लक्ष्यों के पास थीं. देखते-देखते पांच लॉन्चिंग पैड और दो आर्मी कैंपों को बर्बाद कर दिया गया. इस कार्रवाई के लिए स्पेशल फोर्सेज के जवान दो से ढाई किलोमीटर अंदर तक गए. सुरक्षा से जुड़े जानकारों की मानें तो अब पाकिस्तान बॉर्डर पर अपनी आर्टिलरी फायर कर सकता है. वह अपनी बैट एक्शन टीम के जरिए बॉर्डर पर हमले कर सकता है. वह भारत के बड़े शहरों मे आतंकी हमले भी करवा सकता है. इस वजह से बॉर्डर से लेकर देश भर में सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं.
गत 19 सितंबर को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी की मीटिंग थी और रक्षा मंत्री को अपनी योजना का खाका पेश करना था. रातोंरात सेना ने सरकार को बता दिया कि कैसे पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है. दिल्ली में 19 सितंबर को सीसीएस की बैठक में इसको लेकर हरी झंडी मिल चुकी थी. सेना के स्पेशल फोर्सेज के जवानों ने एलओसी पार करके सर्जिकल ऑपरेशन को ऐसे ही अंजाम नही दिया, इसकी तैयारी पिछले सात-आठ दिनों से चल रही थी.
पहले खुफिया जानकारी जुटाई गई कि एलओसी के पार पास में कौन-कौन से लॉन्चिंग पैड हैं और वहां पर कितनी संख्या में आतंकी हैं. इसके लिए एनटीआरओ और रॉ की मदद ली गई. सेना ने अपने खुफिया विभाग की मदद ली ताकि पक्की जानकारी मिल जाए कि कहां-कहां आतंकी हैं और कैसे वहां तक सुरक्षित पहुंचा जा सकता है. सेना के जवानों को केवल आतंकियों के लॉन्चिंग पैडों पर ही हमला नहीं करना था बल्कि यह भी देखना था कि कहीं पाकिस्तानी सेना जवाबी कार्रवाई न कर दे. पाकिस्तान का ध्यान बंटाने के लिए विशेष व्यापार दर्जा और सिंधु जल समझौता मुद्दा जोरशोर से उठाया गया. सार्क के बायकॉट की बात की गई. यह सब एक सोची समझी कूटनीति का हिस्सा था.
पाकिस्तान को ऐसा लगा कि भारत ऐसे ही सिर्फ बयानबाजी या फिर डोजियर देगा. लेकिन बुधवार को दोपहर के बाद एलओसी के पार सर्जिकल स्ट्राइक करने का अंतिम फैसला ले लिया गया. सरकार को बताया गया कि क्या-क्या नुकसान हो सकता है और इसको कैसे अंजाम दिया जाए. उसी दिन दोपहर दो बजे के बाद सीमा पर स्पेशल फोर्सेज मूवमेंट शुरू हुआ. सात-आठ लक्ष्य निर्धारित किए गए. अलग-अलग स्थानों पर रात 10 से 10.30 के आसपास पुंछ से लेकर कुपवाड़ा तक तीन टीमें आगे बढ़ीं. उसी वक्त कुपवाड़ा में ध्यान बंटाने के लिए मोर्टार से फायरिंग की गई. फिर पुंछ के बलनोई और नंगी टेकरी से एक टीम ने एलओसी पार की. दूसरी टीम उड़ी और तुतमारी गली के बीच नौगाम सेक्टर से घुसी और तीसरी टीम तीसरा कुपवाड़ा के पास से आगे गई.
रात में ठीक दो बजे सारी टीमें लक्ष्यों के पास थीं. देखते-देखते पांच लॉन्चिंग पैड और दो आर्मी कैंपों को बर्बाद कर दिया गया. इस कार्रवाई के लिए स्पेशल फोर्सेज के जवान दो से ढाई किलोमीटर अंदर तक गए. सुरक्षा से जुड़े जानकारों की मानें तो अब पाकिस्तान बॉर्डर पर अपनी आर्टिलरी फायर कर सकता है. वह अपनी बैट एक्शन टीम के जरिए बॉर्डर पर हमले कर सकता है. वह भारत के बड़े शहरों मे आतंकी हमले भी करवा सकता है. इस वजह से बॉर्डर से लेकर देश भर में सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सर्जिकल स्ट्राइक, पीओके, आतंकी ठिकाने, भारतीय सेना, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, भारतीय सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, पाकिस्तान, उरी आतंकवादी हमला, Surgical Strike, PoK, Surgical Strikes On Terrorists, Indian Army, Defence Minister Manohar Parrikar, Dalbir Singh S