यह ख़बर 23 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

नाराज एनसीपी की बैठक में नहीं हुआ कोई फैसला, आज फिर बैठक

खास बातें

  • राकांपा ने कहा कि वह संप्रग का अभिन्न हिस्सा बनी रहेगी, लेकिन वह तब तक किसी सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेगी, जब तक कि गठबंधन के भविष्य पर वह कोई अंतिम फैसला नहीं ले लेती।
नई दिल्ली:

केंद्र की यूपीए सरकार की सहयोगी एनसीपी नाराज है। पार्टी की नाराजगी का आलम यह है कि वह प्रधानमंत्री की ओर से दिए डिनर में भी नहीं गए। इससे पहले एनसीपी के मंत्री कैबिनेट की बैठक में भी नहीं गए और लाल बत्ती की गाड़ियों का भी इस्तेमाल नहीं किया।

राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने पार्टी की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "हम संप्रग का अभिन्न हिस्सा बने रहेंगे और संप्रग के साथ हमारा रिश्ता 2014 तक कायम रहेगा। हम संप्रग को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में समर्थन दे रहे हैं और अंत तक इस सरकार को समर्थन देते रहेंगे।"

एनसीपी अब यूपीए का हिस्सा रहना चाहती है या नहीं, इस मुद्दे पर फैसले के लिए सोमवार को बुलाई गई बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया, क्योंकि महाराष्ट्र से पार्टी के कुछ नेता नहीं आ पाए थे। अब आज इसी मुद्दे पर बैठक बुलाई गई है।

माना जा रहा है कि कांग्रेस से शरद पवार की नाराजगी सिर्फ नंबर दो की कुर्सी को लेकर ही नहीं बल्कि सुशील कुमार शिंदे को सदन का नेता बनाए जाने पर भी है। सूत्रों के मुताबिक पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले के लिए भी सरकार में बेहतर जगह चाहते हैं।

उधर, रिश्तों में बढ़ती खटास के बीच शरद पवार आज अपनी पूरी टीम के साथ देश के अगले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने पहुंचे थे।

वहीं केंद्र के साथ महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी में बढ़ती दूरियों के बीच मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। बैठक में एनसीपी के इन आरोपों पर गौर किया गया कि कांग्रेस अहम फैसले अकेले लेती है।

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सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने एनसीपी को सलाह दी है कि वह आपसी मुद्दों के लिए मीडिया में न जाएं बल्कि संवाद करें। इसके साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष को खत लिखकर कहा है कि कॉ−ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में एनसीपी शामिल हों। इस बैठक में दोनों पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष और मुंबई अध्यक्ष समेत पांच-पांच वरिष्ठ नेता शामिल होते हैं।