फिक्की की महिला शाखा के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर
नई दिल्ली:
दिल्ली में फिक्की की महिला शाखा के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने माना कि महिलाओं के साथ भेदभाव समाज में ही सेना में भी मौजूद दिखाई पड़ता है। उन्होंने बताया कि तीन महिला अफ़सरों को लड़ाकू विमान उड़ाने की इजाज़त देने वाली फाइल उनके पास चार महीने में आई।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इसके पीछे भी मंत्रालय की पुरुष मानसिकता हो। उन्होंने ये भी कहा कि अगर पुरुष सैनिकों को ये लगता हो कि वे महिला अफसरों के मातहत काम कैसे करेंगे तो सरकार सेना में महिलाओं की अलग बटालियन बना सकती है। उन्होंने याद दिलाया कि ये देश झांसी की रानी और मां दुर्गा का है।
उन्होंने कहा कि जब वे रक्षा मंत्री बना तो इस बारे में कुछ करने की बात सोची। रक्षा मंत्री ने बताया कि जब वायुसेना प्रमुख ने उनसे महिलाओं के लड़ाकू विमान उड़ाने की बात कही तो उन्होंने फौरन फाइल मंगाई। लेकिन इसको आने में चार महीने लग गए।
उन्होंने कहा कि महिलाएं क्यों नहीं युद्धपोत पर जा सकती हैं? क्यों नहीं उनके लिये वहां अलग से सुविधाएं बनायी जा सकती हैं। बेशक, सरकार एक झटके में सेना में महिलाओं की तादाद नहीं बढ़ा सकती लेकिन धीरे-धीरे कोशिश हो रही है। वह समय भी आएगा कि सैनिक स्कूल और नेशनल डिफेंस एकेडमी में महिलाओं को मौका मिलेगा।
18 जून को वायुसेना में तीन महिलओं को कॉम्बेट रोल में शामिल किया गया है। थल सेना और नौसेना में ये अब भी दूर की कौड़ी है। इतना ही नहीं, सेना में अभी भी गिनती की महिला अफसर हैं, जवान तो हैं ही नहीं।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इसके पीछे भी मंत्रालय की पुरुष मानसिकता हो। उन्होंने ये भी कहा कि अगर पुरुष सैनिकों को ये लगता हो कि वे महिला अफसरों के मातहत काम कैसे करेंगे तो सरकार सेना में महिलाओं की अलग बटालियन बना सकती है। उन्होंने याद दिलाया कि ये देश झांसी की रानी और मां दुर्गा का है।
उन्होंने कहा कि जब वे रक्षा मंत्री बना तो इस बारे में कुछ करने की बात सोची। रक्षा मंत्री ने बताया कि जब वायुसेना प्रमुख ने उनसे महिलाओं के लड़ाकू विमान उड़ाने की बात कही तो उन्होंने फौरन फाइल मंगाई। लेकिन इसको आने में चार महीने लग गए।
उन्होंने कहा कि महिलाएं क्यों नहीं युद्धपोत पर जा सकती हैं? क्यों नहीं उनके लिये वहां अलग से सुविधाएं बनायी जा सकती हैं। बेशक, सरकार एक झटके में सेना में महिलाओं की तादाद नहीं बढ़ा सकती लेकिन धीरे-धीरे कोशिश हो रही है। वह समय भी आएगा कि सैनिक स्कूल और नेशनल डिफेंस एकेडमी में महिलाओं को मौका मिलेगा।
18 जून को वायुसेना में तीन महिलओं को कॉम्बेट रोल में शामिल किया गया है। थल सेना और नौसेना में ये अब भी दूर की कौड़ी है। इतना ही नहीं, सेना में अभी भी गिनती की महिला अफसर हैं, जवान तो हैं ही नहीं।
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