मायावती के इस्तीफे की घटना के बाद आज संसद शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया. लोकसभा में विपक्ष लगातार नारेबाजी कर रहा है, जिसके चलते कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा. उस समय पीएम नरेंद्र मोदी भी वहीं मौजूद थे. उधर, राज्यसभा में भी हंगामा जारी है. विपक्ष ने यहां किसानों की आत्महत्या का मुद्दा उठाया. दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आत्महत्या पर मौन है. शरद यादव ने भी सरकार से इस मुद्दे पर बहस की मांग की. इसके बाद राज्यसभा में भीड़ द्वारा हत्या के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई, जिसकी शुरुआत विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने की.
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गुलाब नबी आजाद ने लगाया सरकार पर आरोप
गुलाम नबी आजाद ने भीड़ द्वारा हत्या के मामले पर कहा कि मध्य प्रदेश के शिवपुर में एक दोस्त अपने दो दोस्तों की हत्या कर देता है. राजस्थान के बीकानेर में एक दलित लड़की को रेप के बाद मार दिया जाता है. राजस्थान में ही तीन दलितों को ट्रैक्टर के नीचे कुचल दिया जाता है. अलवर में भी बेदर्दी से बीजेपी के एमएलए के कहने से एक विधवा और उसके बच्चे की थाने में पिटाई की जाती है. लोगों के जिंदा जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. भीड़ द्वारा हत्याएं सामने आ रही है. लोगों में जातिगत नफरत के खिलाफ हमें लड़ना है. दलितों और अल्पसंख्यकों को बैंकों से कोई लोन नहीं मिलता. भीड़ द्वारा हत्या की बहुत लंबी कहानी है. झारखंड मॉब लिंचिंग का अखाड़ा बन गया है. गुलाम नबी आजाद बोले कि व्हाट्सएप के मैसेज को लेकर भी लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है, अलग इस तरह से कार्रवाई होगी तो हम सभी जेल में होंगे. उन्होंने कहा कि आपकी पार्टी व्हाट्सएप पर कई तरह के मैसेज फैलाती है. देशभर में गो रक्षा के मुद्दे पर गुंडागर्दी हो रही है. आजाद ने इस दौरान कई घटनाओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आज देश में जितनी भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं कि उसमें रूलिंग पार्टी के संघ परिवार का कोई ना कोई सदस्य रहा है. हम मानते हैं कि पीएम मोदी ने इस पर बयान दिया है, लेकिन सरकार ने शायद यह सोच रखा है कि हम बयान देते रहेंगे, लेकिन तुम अपना काम करते रहो. यह लड़ाई किसी धर्म की नहीं और न ही हिन्दू-मुस्लिम की है, यह लड़ाई इंसानियत की है.
किसानों को मुआवजे के बदले दी जा रही गोलियां : कांग्रेस
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस समेत विपक्ष किसानों की खुदकुशी के मामले को उठाना चाह रहा था. कांग्रेस ने कहा कि किसानों को मुआवजे के बदले में गोलियां दी जा रही हैं. इस पर हंगामा हो गया. दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आत्महत्या पर चुप है. उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर बहस की मांग की. इसके साथ ही विपक्षी नेता अली अनवर ने दलितों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया. इस बीच सत्ता पक्ष ने विपक्ष से विपक्ष से सदन को सुचारू ढंग से चलाने की अपील की है.
लोकसभा में नरेंद्र मोदी...
सत्र शुरू होने से पहले हुई संसदीय दल की बैठक
सत्र शुरू होने से पहले बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई. इसमें सुषमा स्वराज ने पीएम मोदी की विदेश यात्रा की तारीफ की. उन्होंने कहा कि पीएम ने जो यात्राएं की वह ऐतिहासिक थीं.
मायावती ने दिया था राज्यसभा से इस्तीफा
दरअसल, मंगलवार को यूपी के सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा को लेकर अपनी बात जल्द खत्म करने को कहे जाने से नाराज बसपा प्रमुख मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इस्तीफा राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को सौंप दिया है.
मायावती ने कहा, मैं शोषितों, मजदूरों, किसानों और खासकर दलितों के उत्पीड़न की बात सदन में रखना चाहती थी. सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में जो दलित उत्पीड़न हुआ है, मैं उसकी बात उठाना चाहती थी, लेकिन सत्ता पक्ष के सभी लोग एक साथ खड़े हो गए और मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया. बसपा प्रमुख ने कहा, मैं दलित समाज से आती हूं और जब मैं अपने समाज की बात नहीं रख सकती हूं, तो मेरे यहां होने का क्या लाभ है. राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि मायावती का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्णय सभापति करेंगे. नियम के अनुसार त्यागपत्र संक्षिप्त होना चाहिए और इसमें कारणों का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.
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VIDEO: मायावती ने दे दिया था राज्यसभा से इस्तीफा
इस बीच बसपा अध्यक्ष मायावती के राज्यसभा से इस्तीफे को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने वाजिब और स्वभाविक बताते हुए कहा कि बीजेपी दलित विरोधी पार्टी है. लालू ने यह भी कहा, 'मायावती चाहेंगी तो हम बिहार से उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजेंगे.'
मायावती के कदम को बीजेपी ने बताया 'ड्रामा'
वहीं, बीजेपी ने राज्यसभा से इस्तीफा देने पर मायावती को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उनका यह कदम 'ड्रामा' है, जिसका मकसद भावुकता के जरिये 'भ्रम' पैदा करना है. नई दिल्ली में बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि लोग अब मायावती से गुमराह नहीं होने वाले हैं. भूपेंद्र यादव ने कहा कि मायावती जनाधार खो चुकी हैं और राज्यसभा में उनका छह वर्षों का कार्यकाल वैसे भी संसद के अगले सत्र में खत्म होना था. उन्होंने संकेतों में कहा कि मायावती ने 'हताशा' में यह कदम उठाया.
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