वैश्विक आतंकी वित्तपोषण पर नजर रखने वाले संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे-सूची में रखने का फैसला किया है. इमरान की अगुवाई में पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकी संगठनों पर लगाम कसने में विफल रहा है जिसको देखते हुए यह फैसला लिया गया है. वर्चुअल मीटिंग में पाकिस्तान के अधिकारियों को बोलने का मौका भी नहीं दिया गया. गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने NDTV को बताया कि यह एक वर्चुअल मुलाकात थी जोकि पांच घंटों तक चली. उन्होंने बताया कि हमने सभी को समझाया कि किस तरीके से पाकिस्तान लगातार भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ जैश की आतंकी गतिविधियों को फंडिंग कर रहा है. पाकिस्तान को इस बैठक में बोलने का मौका तक नहीं दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि आवाजाही पर लगी रोक और कोविड-10 के विश्वव्यापी प्रकोप के चलते FATF ने वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया था.
अधिकारियों के अनुसार FATF अब संयुक्त राष्ट्र की निगरानी टीम की सभी रिपोर्टों को संज्ञान में लेगा. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में 6500 पाकिस्तानी नागरिक मौजूद थे जो विदेशी आतंकवादियों को समर्थन देते थे. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अभी भी बड़ी संख्या में जैश ए मोहम्मद (JeM) और लश्कर ए तैयबा (LeT) जैसे आतंकी संगठन और उनके सहयोगी अफगान की धरती पर मौजूद हैं. दिलचस्प बात ये है कि एक जून को जारी की गई एक रिपोर्ट इन दिनों वायरल हो रही है. जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि पाकिस्तान के भीतर 30 से 40 हजार आतंकवादी हैं.
पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट में बरकरार रहना उसके लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है. ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के लिए IMF, World Bank, ADB और यूरोपियन यूनियन से मिलने वाली वित्तिय सहायता पर भी असर पड़ सकता है. आर्थिक हालातों से जूझ रहे पाकिस्तान की समस्याएं और बढ़ जाएंगी. अगर पाकिस्तान अक्टूबर तक FATF के निर्देशों का पालन करने में विफल होता है तो इस बात की पूरी संभावना है कि वैश्विक संस्था उत्तर कोरिया और इरान के साथ पाकिस्तान को भी ब्लैक लिस्ट में डाल देगी.
भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तयैबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों की मदद करता है, जो भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना चाहते हैं. भारत ने FATF से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन ले. गौर करने वाली बात है कि FATF का फैसला एक दिन बाद आया जब यूएस की आतंकी घटनाओं की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान आतंकवादी समूहों का सुरक्षित बंदरगाह है और अपने देश से आतंकी गतिविधियों को करने की अनुमति देता है.
बता दें कि जून 2018 में FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था. अगस्त 2019 में एशिया पैसिफिक ज्वाइंट ग्रुप (APJG) ने मानकों को पूरा करने में विफल होने पर पाकिस्तान को बढ़ी हुई अनुवर्ती सूची में रखा था. तकनीकी आधार पर पाकिस्तान को 40 में से सिर्फ 10 बिंदुओं पर ही संतोषजनक का दर्जा दिया गया था.
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