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This Article is From Feb 16, 2017

पाक सेना का कश्मीर के पत्थरबाजों को खुलेआम समर्थन, भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाएगा मामला

पाक सेना का कश्मीर के पत्थरबाजों को खुलेआम समर्थन, भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाएगा मामला
कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी को पाक सेना के समर्थन का मामला भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगा (प्रतीकात्मक फोटो).
नई दिल्ली: कश्मीर के पत्थरबाजों को लेकर पाकिस्तान की सेना ने जो वीडियो जारी किया है उसे लेकर अब केंद्रीय गृह मंत्रालय भी हरकत में आ गया है. बताया जा रहा है कि भारत अब इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोरशोर से उठाने जा रहा है. कश्मीर घाटी में हर एनकाउंटर के बाद लोगों का हुजूम बढ़ता जा रहा है. इसे लेकर केंद्र की चिंता बढ़ती जा रही है. चिंता खास तौर पर इसलिए भी है क्योंकि लगातार सूचनाएं मिल रही हैं कि जो लड़के दक्षिण कश्मीर से पिछले साल गायब हो गए थे उन्होंने हथियार उठा लिए हैं. स्थानीय लोग उन्हें समर्थन दे रहे हैं.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने एनडीटीवी से कहा कि "जो एंटी सोशल लोगों को समर्थन करेगा, जाहिर है कि सुरक्षा बल उन लोगों के खिलाफ कर्रवाई करेंगे. इसमें क्या गलत है?"  

उधर कश्मीर में पत्थरबाजी को जिस तरह पाकिस्तान की सेना खुले आम समर्थन दे रही है उसे लेकर अब भारत अधिकारिक तौर पर आवाज उठाने जा रहा है. एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान आने वाले गर्मियों के मौसम में गड़बड़ी फैलाने के लिए जोरशोर से कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जेनरल आसिफ गफूर ने अपने आफिशियल ट्वीटर हैंडल @OfficialDGISPR से पथरबाजों को ग्लोरिफाई किया. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से संगबाज गाना ट्वीट किया जिसे लेकर मंत्रालय में मीटिंग हुई. सोशल मीडिया में जिस तरह से वह वायरल हुआ, उस पर चर्चा हुई.

इससे पहले बुरहान बानी को सोशल मीडिया में पोस्टर ब्वॉय कहा गया था. खुद गृह मंत्री इस पर ऐतराज दर्ज करा चुके हैं. पिछले साल हुई पत्थरबाजी में सौ से ज्यादा लोगों की आंखें चली गई थीं और 500 से ज्यादा घायल हुए थे.

कश्मीर में ज्यादा मुश्किल इसीलिए भी है क्योंकि 2010 में जो हड़ताल अक्टूबर में बंद हो गई थी, इस साल अब तक जारी है. हर ऑपरेशन में आतंकी कम मारे जा रहे हैं और सुरक्षा बलों के जवान ज्यादा मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं. अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी भी इस साल सर्दी में श्रीनगर में ही डटे रहे. माना जा रहा है कि वे इसलिए नहीं हटे ताकि हड़ताल कमजोर न पड़े.

सरकार को चिंता इसीलिए भी है क्योंकि पीडीपी सरकार से आतंक को काबू में करने के मिलेजुले संकेत मिल रहे हैं. पाकिस्तान उन सभी साधनों का इस्तेमाल कर रहा है जिससे नौजवान ज्यादा जुड़ते हैं, वह चाहे सोशल मीडिया हो या फिर संगीत. वैसे भी घाटी में जिस तरह के तराने बज रहे हैं, उसे लेकर सुरक्षा तंत्र में गंभीर चिंता है.

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