
विपक्ष ने राज्यसभा में मांग की कि नोटबंदी पर चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हों.
- कहा, देश को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दे पर दलों की राय सुनें
- मायावती ने कहा, सदन में आकर चिंताओं का समाधान करें
- आजाद ने कहा, प्रधानमंत्री को विपक्षी सदस्यों की भावनाएं जानना चाहिए
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उच्च सदन में आज नोटबंदी के फैसले पर विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यह एक अत्यंत गंभीर मुद्दा है और वह वित्त मंत्री तथा सदन के नेता अरुण जेटली को देख रही हैं जो बहुत ‘‘दुखी’’ नजर आ रहे हैं. उन्होंने मांग की कि सदन को यह अनुरोध करना चाहिए कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और चिंताओं का समाधान करें.
सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने मायावती की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि बसपा नेता ने अच्छा सवाल उठाया है और प्रधानमंत्री को विभिन्न दलों की चिंताओं को सुनने के लिए सदन में होना चाहिए. उन्होंने कहा ‘‘कम से कम वह छह सात मुख्य दलों की भावनाएं तो सुन ही सकते हैं अन्यथा यह निरर्थक हो जाएगा. प्रधानमंत्री को विपक्षी सदस्यों की भावनाएं जानना चाहिए. मैं उनसे आग्रह करता हूं कि कम से कम आज तो वह आएं और सदन में बैठें. हम उनका इंतजार कर सकते हैं.’’ आजाद ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि कल हुई सर्वदलीय बैठक में भी प्रधानमंत्री अंत में पहुंचे थे, इस कारण वह प्रमुख पार्टियों के नेताओं के विचार नहीं सुन पाए थे. उन्होंने कहा कि मोदी को सदन में होने वाली चर्चा में प्रमुख दलों की राय को सुनना चाहिए.
इस पर राकांपा के डीपी त्रिपाठी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि विपक्ष के नेता के तौर पर उन्हें बड़े और छोटे दलों में अंतर नहीं करना चाहिए.
विपक्ष की इस मांग पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. उल्लेखनीय है कि शीतकाल सत्र के पहले दिन आज भोजनावकाश के पहले तक सदन में प्रधानमंत्री नहीं आए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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