लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाने के लिए किराया लेने के रेल मंत्रालय के कदम और राज्यों द्वारा उस किराये की वसूली सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की नई वजह बन गाया है. कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन को दो और हफ्तों के लिए बढ़ा दिया गया है और केंद्र सरकार ने शुक्रवार से फंसे हुए मजदूरों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलानी शुरू की हैं.
लेकिन राज्यों की मांग के विपरीत प्रवासी मजदूरों से किराया वसूला जा रहा है.
रेलवे के सर्कुलर की एक कॉपी जो NDTV के पास है के अनुसार, 'स्थानीय सरकारी अधिकारी अपने द्वारा क्लियर किए गए यात्रियों को टिकट सौंपेंगे और टिकट का किराया वसूल करेंगे और कुल राशि रेलवे को सौंप देंगे.'
राज्यों पर टिकट जारी करने और किराया वसूल कर जमा करने जिम्मेदारी के कारण, विपक्ष द्वारा शासित ज्यादातर राज्यों को सियासी नुकसान होने की आशंका है. गैर-भाजपा शासित राज्य मांग कर रहे हैं कि केंद्र इन प्रवासी श्रमिकों की यात्रा का खर्च वहन करे.
आज एक ट्वीट में, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह "बेहद शर्मनाक" है कि भाजपा सरकार ट्रेन की सवारी के लिए कमजोर मजदूरों को चार्ज कर रही थी।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को एक ट्वीट कर कहा, 'यह बेहद शर्मनाक है कि बीजेपी सरकार घर लौट रहे लाचार मजदूरों से किराया वसूल रही है.'
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, 'ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मज़दूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की ख़बर बेहद शर्मनाक है. आज साफ़ हो गया है कि पूंजीपतियों का अरबों माफ़ करनेवाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के ख़िलाफ़. विपत्ति के समय शोषण करना सूदखोरों का काम होता है, सरकार का नहीं.'
इससे पहले NDTV से बात करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसी तरह की बात कही थी।
सोरेन ने कहा था, 'हमें प्रवासी मजदूरों से टिकटों के पैसे देने को नहीं कहना चाहिए. वे हर तरह से व्यथित हैं. यदि केंद्र नहीं करता है, तो झारखंड सरकार इस भुगतान को करने के तरीके ढूंढेगी लेकिन हम निश्चित रूप से प्रवासियों को पैसे देने को नहीं कहेंगे."
छत्तीसगढ़ सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को बताया कि ऐसा मालूम होता है कि एक ऐसे समय में जब जीएसटी कलेक्शन अब तक के सबसे निम्त स्तर पर है, केंद्र सरकार राज्यों पर अपना वित्तीय भार डाल रही है.
उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम पर तैयार आपदा राहत कोष पर सवाल उठाते हुए कहा, 'ये पीएम केयर्स फिर क्यों है?
लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने ऐसी कोई भी घोषणा नहीं की है.
इस हफ्ते की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने तीखी आलोचना के बाद बसों और ट्रेनों का उपयोग कर प्रवासियों को उनके गृह राज्य पहुंचाने की अनुमति दी थी.
इस हफ्ते की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने तीखी आलोचना के बाद बसों और ट्रेनों का उपयोग कर प्रवासियों को उनके गृह राज्य पहुंचाने की अनुमति दी थी.
25 मार्च को पीएम मोदी द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर बिना काम, पैसे और खाने के फंस गए थे.
इस हफ्ते की शुरुआत में मजदूरों को अपने गृह राज्य लौटने की इजाजत दिए जाने के बाद राज्यों में इसके लिए विशेा ट्रेनें चलाए जाने की मांग की थी, यह कहते हुए कि गृह मंत्रालय का बसों से इतनी बड़ी संख्या में लोगों को ले जाने का सुझाव अव्यवहारिक है.
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