ऐमजॉन इंडिया ने खाद, बीज, कृषि उपकरण जैसे खेती-किसानी से जुड़े उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री शुरू की है. गुरुवार को खुद कृषि मंत्री कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एमेजॉन के इस किसान स्टोर का उद्घाटन किया. एक तरफ देश में किसान तीन कानूनों को खत्म करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ खुद कृषि मंत्री एक विदेशी रिटेल चेन पर खाद-बीज जैसे जरूरी सामान की बिक्री के लिए स्टोर की शुरुआत कर रहे हैं. लेकिन इस फैसले पर किसान और दुकानदारों की क्या प्रतिक्रिया है देखिये ...
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भोपाल के करीब रातीबड़ में खाद बीज और कीटनाशक खरीदने आए 5-7 एकड़ में खेती करने वाले मोतीलाल मारन और अखिलेश मारन को जब हमने बताया कि अब वो ऑनलाइन खाद बीज खरीद सकते हैं, तो पहले तो वे खुश हुए फिर सोचने लगे दुकान वाले तो उधार भी देते हैं, ज्यादा हुआ तो सामान वापस भी कर सकते हैं क्या ऑनलाइन में ये सहूलियत मिलेगी. किसान मोतीलाल मारन का कहना है कि 4-5 दिन उधारी में मिल जाता है, ना उधारी मिलेगी ना वापस होगा ना ज्यादा फायदा है, दुकानदार जहां पहचान होती है ना कोई पहचान है, ना किसान इतना शिक्षित है (( पैच)) सबसे गलत कदम है ना जाने क्यों सरकार किसानों के पीछे पड़ी है.
किसान अखिलेश मारन के मुताबिक, ऑनलाइन से फायदा है कि घर पर पहुंच जाएगा लेकिन खराब क्वॉलिटी का आ गया तो बदलेंगे कैसे अभी सरकार का नियंत्रण है लेकिन कंपनी करेगी तो अपने हिसाब से रेट करेगी. खाद-बीज के ऑनलाइन बाजा़र से दुकान वाले भी घबराए हुए हैं उनका मानना है कि इससे उनका कारोबार प्रभावित होगा. दुकानदार दिनेश मारन का कहना है कि कोरोना में ना सब्जी लगी ना किसान के पास है हमारे यहां बार बार कृषि अधिकारी चेक करते हैं, ऑनलाइन में कौन करेगा. भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर आगर-मालवा जिले के आवर गांव में बहादुर सिंह, महेन्द्र सिंह दोनों बड़े किसान हैं 100-100 बीघा खेत हैं, स्मार्ट फोन चलाते हैं.. सो ऑनलाइन खाद बीज पर नजर हैं, क्या कह रहे हैं सुनिये...
किसान महेन्द्र सिंह के मुताबिक, 100 बीघे ऑनलाइन यूरिया खाद 135 रु किलो सोसायटी में 300 में 50 किलो तो कैसे डालेंगे, लागत बढ़ती जा रही है 10000 क्विंटल बीज है सब माइनस में जाता है, ऑनलाइन में 135 में यूरिया मिल रहा है, सोसायटी में 300 में बोरी वहीं उपलब्ध करा दे तो हो जाएगा. किसान बहादुर सिंह के मुताबिक, "आवर 100 बीघे में ऑनलाइन में देखा 200-150 मिल रहा है कैसे खेती करेंगे 10000 क्विंटल सोयाबीन लिया बोया आधी भी नहीं उगी कैसे क्या करेंगे, दवाई इतनी महंगी है हमको ऑनलाइन नहीं चाहिये, सोसायटी से मिल जाए ... मजदूरी के पैसे बढ़ गये हैं, लागत बढ़ेगी ... खेती में कुछ नहीं बचा है"
नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि ये आवश्यक वस्तु अधिनियम की वस्तु है, इसका कोटा सरकार देती है 75-80 प्रतिशत सोसायटी में जाता है 20 परसेंट निजी क्षेत्र में जाता है किसानों को परेशानी होगी महंगे रेट में नहीं खरीद पाएगा, मार्केट चौपट हो जाएगा तुरंत रोक लगाना चाहिये . जानकारों का मानना है कि ये पहल किसानों को बड़ी कंपनी के एकाधिकार के चंगुल में फंसा सकती है, बेहतर होता कि सरकार फुटकर के धंधे से इन्हें दूर रखती
मध्य प्रदेश सरकार में पूर्व सदस्य-कृषि सलाहकार परिषद केदार सिरोही ने कहा कि इस तरह की छूट प्राइस का कंट्रोल है, डिमांड सप्लाई में इशू है कहती है कालाबाजारी को रोकेंगे कहीं कृषि के सबसडाइज प्रोडक्ट का इस्तेमाल कहीं और तो नहीं होगा ये कृषि की लागत को बढ़ाएगा, दुकानों को खत्म करेगा .
ऑनलाइन नीम कोटेड की कीमत 199 रुपए प्रति किलो रखा है, 20 फीसद छूट भी जोड़ लें तो कीमत हुई 159.20 रुपए प्रति किलो खाद, सरकारी यूरिया 267.50 है 45 किलो का यानी प्रति किलो लगभग 6 रु. इससे ज्यादा वसूलना कालाबाजारी की श्रेणी में आता है, सबसिडी हटाने पर भी ये लगभग 21 रु किलो मिलेगा लेकिन यहां 27 गुना महंगा ऑनलाइन पर छूट के साथ ...
बीज-खाद के सैंपल के लिये गुणवत्ता कैसे तय होगी? किसान पूछ रहे हैं सरकार की सस्ते कृषि औषधी केन्द्र क्यों नहीं खोल सकती? क्या इससे सरकारी स्टोर में कार्यरत लोगों की नौकरी खतरे में नहीं पड़ेगी? बीज-खाद के लाइसेंस से मॉनिटरिंग होती थी अब ये कैसे होगी?क्या इन कंपनियों को सरकार की ओर से इसके लाइसेंस दिए गए हैं?
क्या ऑनलाइन मनचाहे दाम पर उर्वरक बेचे जा सकते हैं?
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जाहिर तौर पर ऑनलाइन किराना बेचने और खेती का सामान बेचने में फर्क है. देश में खाद बेचने के लिए नेशनल लाइसेंस का भी प्रावधान है, ताकी कोई महंगे दामों पर किसानों को खाद ना बेच पाए, ऐसा करना पर सज़ा का प्रावधान है. लेकिन जब कोई ताल ठोंककर 20 गुने दाम पर बिक्री करे और देश के कृषि मंत्री उसपर ताली पीटें तो क्या कहा जा सकता है.
रवीश कुमार का प्राइम टाइम : अब ऑनलाइन लीजिए बीज और खाद
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