प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई:
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार के बीच समन्वय का अभाव प्याज के किसानों के लिए बुरी खबर ले कर आया है. केंद्र सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों को सब्सिडी देने का महाराष्ट्र सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. गौरतलब है कि केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी की ही सरकारें हैं.
महाराष्ट्र के मार्केटिंग विभाग के मंत्री सुभाष देशमुख बुधवार को दिल्ली में थे. महाराष्ट्र के प्रस्ताव को लेकर उनकी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से मुलाकात हुई. महाराष्ट्र सरकार ने गत महीने के आखिरी हफ्ते में केंद्र को प्रस्ताव भेजा था कि सरकारी मंडी में प्याज बेच चुके किसान को प्रति क्विंटल 100 रुपये अनुदान दिया जाए. इस अनुदान का आधा व्यय केंद्र को उठाना था और आधा राज्य सरकार को. कुल 65 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित था. इसमें से केंद्र की तिजोरी से 32 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च होने थे.
बुधवार की बैठक से बाहर निकलते हुए महाराष्ट्र के विपणन मंत्री सुभाष देशमुख ने मीडिया कर्मियों को बताया कि केंद्र ने राज्य सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है क्योंकि इस तरह से अनुदान देने की कोई स्कीम केंद्र के पास है ही नहीं. देशमुख के बयान में हताशा साफ झलक रही थी.
महाराष्ट्र में इस बार 15 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ है. इस उत्पादन को हाल ही में बाढ़ और व्यापारी बनाम किसान जैसे संकट झेलने पड़े. जिससे प्याज के दाम जमीन पर उतर गए. ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर सब्सिडी देने का प्रस्ताव सामने आया था. लेकिन इस प्रस्ताव को रामविलास पासवान की तरफ से नकारे जाने पर अब राज्य की बीजेपी सरकार के सामने किसानों का गुस्सा झेलने का संकट आ खड़ा है. इससे बचने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने प्याज के निर्यातकों को दी जा रही प्रति क्विंटल 5% इम्पोर्ट सब्सिडी को बढ़ाने और किसान की प्रति क्विंटल सब्सिडी को मंजूरी देने की गुजारिश की है. अब राज्य सरकार को दुबारा अपना प्रस्ताव केंद्र को भेजना होगा.
महाराष्ट्र के मार्केटिंग विभाग के मंत्री सुभाष देशमुख बुधवार को दिल्ली में थे. महाराष्ट्र के प्रस्ताव को लेकर उनकी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से मुलाकात हुई. महाराष्ट्र सरकार ने गत महीने के आखिरी हफ्ते में केंद्र को प्रस्ताव भेजा था कि सरकारी मंडी में प्याज बेच चुके किसान को प्रति क्विंटल 100 रुपये अनुदान दिया जाए. इस अनुदान का आधा व्यय केंद्र को उठाना था और आधा राज्य सरकार को. कुल 65 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित था. इसमें से केंद्र की तिजोरी से 32 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च होने थे.
बुधवार की बैठक से बाहर निकलते हुए महाराष्ट्र के विपणन मंत्री सुभाष देशमुख ने मीडिया कर्मियों को बताया कि केंद्र ने राज्य सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है क्योंकि इस तरह से अनुदान देने की कोई स्कीम केंद्र के पास है ही नहीं. देशमुख के बयान में हताशा साफ झलक रही थी.
महाराष्ट्र में इस बार 15 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ है. इस उत्पादन को हाल ही में बाढ़ और व्यापारी बनाम किसान जैसे संकट झेलने पड़े. जिससे प्याज के दाम जमीन पर उतर गए. ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की पहल पर सब्सिडी देने का प्रस्ताव सामने आया था. लेकिन इस प्रस्ताव को रामविलास पासवान की तरफ से नकारे जाने पर अब राज्य की बीजेपी सरकार के सामने किसानों का गुस्सा झेलने का संकट आ खड़ा है. इससे बचने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने प्याज के निर्यातकों को दी जा रही प्रति क्विंटल 5% इम्पोर्ट सब्सिडी को बढ़ाने और किसान की प्रति क्विंटल सब्सिडी को मंजूरी देने की गुजारिश की है. अब राज्य सरकार को दुबारा अपना प्रस्ताव केंद्र को भेजना होगा.
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