कांग्रेस के सुप्रीम कोर्ट जाने के रुख पर पायलट खेमे ने भी दी अर्जी, "पहले हमें सुना जाए"

गुरुवार को, कोर्ट ने उच्च न्यायालय को फैसला देने से रोकने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि "असंतोष की आवाज" को लोकतंत्र में नहीं दबाया जा सकता.

कांग्रेस के सुप्रीम कोर्ट जाने के रुख  पर पायलट खेमे ने भी दी अर्जी,

हाईकोर्ट द्वारा टीम पायलट के सुबह 11 बजे मामले में केंद्र को शामिल करने के अनुरोध के बाद फैसला आने में देरी हुई,

नई दिल्ली:

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले अन्य विधायकों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई करने से पहले उन्हें सुना जाए. कांग्रेस ने कहा था कि वह राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएगी, जिसमें कहा गया है कि पायलट और पार्टी के अन्य बागी नेताओं के खिलाफ अब कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती.

इस आदेश को स्पीकर सीपी जोशी द्वारा तत्काल अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ समूह के लिए एक दमनकारी के रूप में देखा गया था. हालांकि हाईकोर्ट द्वारा टीम पायलट के सुबह 11 बजे मामले में केंद्र को शामिल करने के अनुरोध के बाद भी फैसला आने में देरी हुई, इसलिए यह इस पर तौला जा सकता है कि क्या विरोधी कानून उन पर लागू होता है.

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गुरुवार को, सर्वोच्च न्यायालय सिब्बल ने अध्यक्ष का बचाव किया, कोर्ट ने उच्च न्यायालय को फैसला देने से रोकने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि "असंतोष की आवाज" को लोकतंत्र में नहीं दबाया जा सकता.

उच्च न्यायालय द्वारा "यथास्थिति" का आदेश दिए जाने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने "जल्द से जल्द" विधानसभा सत्र की मांग की और राज्यपाल कलराज मिश्र के घर पर चार घंटे से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया.

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गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल दबाव में हमारे निवेदन को अनदेखा कर रहे हैं, ताकि बहुमत परीक्षण का टाला जा सके.  मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को 102 विधायकों की सूची सौंपी, इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें एक सत्र के लिए नई एप्लिकेशन भेजने के लिए कहा.

बीते दो हफ्तों के दौरान सचिन पायलट अपने 18 समर्थक विधायकों के संग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का ऐलान कर चुके हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि सचिन अपने समर्थकों के साथ बीजेपी शासित हरियाणा में कहीं रुके हुए हैं.

इस समय कांग्रेस के पास कांटे की बढ़त है. राजस्थान के 200 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 101 सीटों की जरूरत है. कांग्रेस पर इससे दो ज्यादा है. सचिन पायलट खेमे के पास 19 विधायक हैं.  बीजेपी के पास 72 एमएलए हैं. छोटी पार्टियां और अन्य को शामिल कर भी लें तो विपक्ष की संख्या 97 होती हैं.

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