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This Article is From Feb 28, 2018

समुद्र में आवाजाही की स्वतंत्रता वाली व्यवस्था को कोई एकपक्षीय तरीके से नहीं बदल सकता: निर्मला सीतारमण

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि समुद्र में आवाजाही की स्वतंत्रता को एकतरफा और मनमाने ढंग से चुनौती देने की इजाज़त नहीं दी जा सकती.

समुद्र में आवाजाही की स्वतंत्रता वाली व्यवस्था को कोई एकपक्षीय तरीके से नहीं बदल सकता: निर्मला सीतारमण
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि समुद्र में आवाजाही की स्वतंत्रता को एकतरफा और मनमाने ढंग से चुनौती देने की इजाज़त नहीं दी जा सकती. किसी भी एक देश या देशों के समूह को इस आज़ादी को चुनौती नहीं देने दी जाएगा. रक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि भारत यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी शक्ति समुद्र में आवाजाही की स्वतन्त्रता को एकतरफा या मनमाने ढंग से चुनौती न दे पाए. ज़ाहिर है रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का इशारा दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी की ओर था. हालांकि, रक्षा मंत्री ने यह बात चीन का नाम लिये बगैर कहा. सीतारमण ने यह बात नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित दो दिवसीय इंडो पेसिफिक रीजनल डायलॉग के दौरान कही है.

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उधर, इस कार्यक्रम में आए श्रीलंका के चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ़ एडमिरल आरसी विजयगुणरत्ने ने आश्वस्त किया है कि श्रीलंका भारत की सुरक्षा को ख़तरे में डालने जैसा कोई कदम नहीं उठाएगा. उनका देश किसी अन्य देश के साथ सैन्य गठबंधन नहीं करेगा. उन्होंने साफ किया कि श्रीलंका की रक्षा केवल श्रीलंका के सुरक्षा बल करेंगे. विजयगुणरत्ने ने कहा कि श्रीलंका के हम्बनटोटा पोर्ट का इस्तेमाल किसी भी भारत विरोधी गतिविधि के लिए नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने भारतीय कंपनियों को हम्बनटोटा औद्योगिक क्षेत्र में निवेश करने का न्यौता भी दिया. 

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गौरतलब है कि हम्बनटोटा पोर्ट को श्रीलंका ने चीन को 99 साल के लीज पर दिया है. इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा ने कहा कि सहयोग की आड़ में मज़बूत देशों का अपारदर्शी रवैया छोटे देशों की संप्रभुता के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में हमारे युद्धपोतों की लगातार तैनाती अपारंपरिक एवं पारंपरिक दोनों खतरों को दूर रखे हुए है.

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जाहिर है भारत अपने मित्र देशों के साथ मिलकर समंदर में चीन को लगातार चुनौती दे रहा है. बात चाहे हिंद महासागर की हो या फिर दक्षिण चीन सागर में और ये बात चीन को आसानी से हज़म नहीं हो रही है.

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