निर्भया के दोषी की SC में दलील- दिल्ली में प्रदूषण का बुरा हाल, पानी भी जहरीला...जिंदगी छोटी हो ही रही फिर फांसी क्यों?

Nirbhaya Case: निर्भया के दोषी अक्षय ने यह दलील दी है कि दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है. पानी भी जहरीला हो चुका है. उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है?

निर्भया के दोषी की SC में दलील- दिल्ली में प्रदूषण का बुरा हाल, पानी भी जहरीला...जिंदगी छोटी हो ही रही फिर फांसी क्यों?

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • निर्भया के दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका
  • पुनर्विचार याचिका में अक्षय सिंह ने दी अजीबोगरीब दलील
  • कहा- जिंदगी ऐसे ही छोटी होती जा रही है फिर फांसी की सजा क्यों?
नई दिल्ली:

Nirbhaya Case: निर्भया कांड के दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है. अक्षय सिंह को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. इसकी सजा को दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की मांग की है. दोषी ने सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने में हुई देरी के लिए माफी की बात भी कही है. याचिका में अक्षय ने दलील दी है कि दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है. साथ ही यहां का पानी भी जहरीला हो चुका है. ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है?

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यही नहीं अक्षय कुमार की तरफ से दायर पुनर्विचार अर्जी में वेद पुराण और उपनिषद में लोगों की हजारों साल तक जीने का हवाला भी दिया गया है. अर्जी में कहा गया है कि इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे. त्रेता युग में भी एक-एक आदमी हज़ार साल तक जीता था, लेकिन अब कलयुग में आदमी की उम्र 50-60 साल तक सीमित रह गई है. बहुत कम लोग 80-90 साल की उम्र तक पहुंच पाते हैं. जब कोई व्यक्ति जीवन की कड़वी सच्चाई और विपरीत परिस्थितियों से गुजरता है तो वो एक लाश से बेहतर और कुछ नहीं होता.

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बता दें कि 9 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले में तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी. चौथे आरोपी अक्षय ने अब तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी. कोर्ट ने कहा था कि सारे मैटेरियल पर गौर करने के बाद हम पाते हैं कि पुनर्विचार करने का कोई आधार नहीं है. याचिका में कोई मेरिट नहीं है.

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सुप्रीम कोर्ट ने विनय, मुकेश और पवन की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाया था. इससे पहले अदालत ने 4 मई 2018 को सुनवाई खत्म कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 5 मई 2017 को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था.

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