सेना में में नाग-एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों को शामिल करने की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए रविवार को पोखरण फायरिंग रेंज में इन मिसाइलों के तीन सफल परीक्षण किए गए. सेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा किए गए ये तीनों ही परीक्षण सफल रहे. डीआरडीओ के अधिकारियों ने कहा, "रविवार को दिन और रात दोनों के दौरान मिसाइलों का परीक्षण किया गया. सभी तीन परीक्षण सफल रहे. " सरकारी सूत्रों ने बताया कि मिसाइल सेना में शामिल किए जाने के अंतिम चरण में है, जिन्हें मोडिफाइड बख्तरबंद वाहनों के ऊपर लगाया जाएगा.
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रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पिछले साल 524 करोड़ रुपये में डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित की गई नाग मिसाइल सिस्टम (एनएएमआईएस) की खरीद को मंजूरी दी थी. इस प्रणाली में मिसाइल वाहक वाहन (NAMICA) के साथ तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल नाग शामिल हैं. तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड नाग मिसाइलों में शीर्ष हमले की क्षमता होती है जो दिन और रात के दौरान दुश्मन के सभी ज्ञात टैंकों को नष्ट कर सकती हैं.
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सेना में नाग मिसाइल के सफल रूप से शामिल होने से दुश्मन के खिलाफ सेना की क्षमता को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. फिलहाल मिसाइल की क्षमताओं को और अधिक परखने के लिए सोमवार को भी सेना और डीआरडीओ को मिसाइलों के और परीक्षण करने हैं.
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बता दें नाग पहली पांच रणनीतिक मिसाइलों में से एक थी जिसे 1980 के दशक में शुरू किए गए एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित करने की योजना थी. परियोजना के तहत विकसित अन्य मिसाइलों में अग्नि, पृथ्वी और आकाश शामिल हैं. इन तीनों को सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है. (इनपुट-एएनआई)
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