फाइल फोटो
नई दिल्ली:
अरुणा शानबाग नहीं रहीं। आज सुबह साढ़े 8 बजे उनका निधन हो गया। अरुणा शानबाग मुंबई के केईएम हॉस्पिटल की वह नर्स थीं, जिनके साथ आज से 42 साल पहले क्रूर तरीके से यौन हिंसा की गई थी, जिसके बाद से वह कोमा में थीं।
राज्य सरकार के केईएम हॉस्पिटल के स्पेशल वार्ड में नर्स रहीं अरुणा के साथ उसी हॉस्पिटल के वार्ड ब्वॉय ने यौन हिंसा की थी। इस घटना के बाद से वह कोमा में थीं। उनके परिवार ने उन्हें स्वीकारने से मना कर दिया था। इसके बाद से हॉस्पिटल की नर्सों ने उनकी जिम्मेदारी लेते हुए तीमारदारी की थी।
पत्रकार पिंकी विरानी की ओर से शानबाग की इच्छा मृत्यु के लिए याचिका दी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था। वैसे इस याचिका का केईएम अस्पताल ने भी विरोध किया था। डॉक्टरों का कहना था कि वह एक हफ्ते से निमोनिया से पीड़ित थीं और लगातार वेंटिलेटर पर थीं।
हमारे सहयोगी अनुराग द्वारी के मुताबिक, हॉस्पिटल स्टाफ ने उनकी बच्चों की तरह देखभाल की थी। 2 साल पहले भी उन्हें निमोनिया हुआ था, हालांकि कल की एक्स-रे रिपोर्ट में उन्हें बेहतर बताया जा रहा था, लेकिन आज सुबह उनका निधन हो गया। परिवार ने कभी भी उनकी सुध लेने की कोशिश नहीं की। अंतिम क्रिया में भी हॉस्पिटल स्टाफ ही रहेगा।
सहयोगी द्वारी के मुताबिक, यौन हिंसा का दोषी सोहनलाल बार्था वाल्मीकी के बारे में खबर है कि वह इन दिनों दिल्ली में अपने परिवार के साथ रह रहा है। उसे यौन शोषण के लिए सजा मिली थी।
फ्लैशबैक में चलें तो..
अरुणा उस समय 26 साल की थीं। वह तब जूनियर नर्स के पद पर थीं और वार्ड ब्वॉय ने उनके साथ उस समय यौन हिंसा की थी, क्योंकि अरुणा ने उसे वह खाना चुराने और खाने से रोका था, जो जानवरों के लिए रखा गया था। तब सोहनलाल ने उनके साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया था। अरुणा के साथ की गई हिंसा के बाद उनके दिमाग को ऑक्सीजन की सप्लाई रुक गई थी। 11 घंटे बाद वह बेसमेंट में बुरी हालत में पाई गई थीं। उनके गले में कुत्ते को बांधने वाली चेन बंधी हुई थी और वह कुछ देख भी नहीं पा रही थीं।
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