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This Article is From Aug 25, 2020

कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए कारगर 'एक्मो थेरेपी', लेकिन रोज का खर्च 50 हजार रुपये

मुंबई में कुछ अस्पतालों में की जा रही है एक्मो थेरेपी, ऋद्धि विनायक अस्पताल में दो मरीज़ों की जान बची, समय पर सपोर्ट मिलने पर बच सकती है जान

कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए कारगर 'एक्मो थेरेपी', लेकिन रोज का खर्च 50 हजार रुपये
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:

Mumbai Coronavirus: मुंबई शहर में कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रस्त मरीजों का रिकवरी रेट अच्छा है लेकिन डेथ रेट को संभालने के लिए अब गंभीर कोविड मरीज़ों के लिए ‘एक्मो थेरेपी' (ECMO therapy) का इस्तेमाल हो रहा है. चूंकि कोविड लंग और हार्ट पर वार करता है, ऐसे में यह थेरेपी उन्हें रिकवर करने में मदद करती है. यह न सिर्फ़ रक्त के बहाव को बनाने का काम करती है बल्कि उसे जरूरी ऑक्सीजन भी मुहैया कराती है. पर इस थेरेपी का एक दिन का ख़र्च है क़रीब 50,000 रुपये.

कोरोना के एक गंभीर मरीज पिछले करीब सात दिनों से एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन यानी कि ECMO डिवाइस सपोर्ट पर हैं ताकि उनकी सांसें चलती रहें. उनके चंद दिनों में पूरी तरह से रिकवर होने की उम्मीद है. मुंबई शहर में अब गंभीर मरीज़ों को बचाने के लिए इस एक्मो थेरेपी का सहारा लिया जा रहा है. ऋद्धि विनायक अस्पताल में अभी तक 11 कोविड मरीज़ों पर इसका इस्तेमाल हुआ है. अस्पताल के इंटेंसिविस्ट डॉ विनय गोयल बताते हैं कि इस थेरेपी का खर्चा हर रोज़ क़रीब 50,000 रुपये आता है.

डॉ विनय गोयल ने एक्मो थेरेपी को लेकर कहा कि ‘'अभी तक 11 मरीज पर लगा चुके हैं. नौ बाहर नहीं आए, एक बचा और एक-दो दिन में एक्मो से बाहर आ जाएगा. वर्ल्डवाइड देखें तो जो मरीज जल्दी एक्मो पर डाले जाते हैं उनमें रिकवरी रेट क़रीब 50-55% है. भारत में बचने के चांसेस हैं 20-23 प्रतिशत. यहां कम इसलिए है क्योंकि मरीज़ एक्मो के लिए लेट रेफ़र किए जा रहे हैं और साथ ही इसकी कॉस्ट काफ़ी ज़्यादा है, 50,000 प्रति दिन का खर्च है.''

ईसीएमओ एक लाइफ सपोर्ट सिस्टम है, जो शरीर को उस समय ऑक्सीजन सप्लाई करने में मदद करता है, जब मरीज़ के फेंफड़े या दिल यह काम नहीं कर पा रहे हों. कोविड के मरीज़ों को बचाने के लिए यह अहम है, पर काफ़ी कम अस्पताल इसका इस्तेमाल कर पा रहे हैं.

कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ राहुल पंडित कहते हैं कि ‘'इस मशीन से मुख्यतः जो ऑर्गन ख़राब है, हार्ट या लंग, उसको आराम दिया जाता है. ये थेरेपी अच्छा नहीं करती मरीज़ को, पर अच्छा करने का वक्त देती है. रिकवरी के समय ये आराम देती है. इसको बेहद कम अस्पताल कर रहे हैं. फ़ोर्टिस वेस्टर्न इंडिया का सबसे बिज़ी एक्मो सेंटर है. हम ट्रांसप्लांट, H1N1, Covid 19 मरीज़ों पर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. एक-दो अस्पताल और कर रहे हैं लेकिन इसके लिए एक्सपर्ट चाहिए, टीम लगती है. जहां ये ज़्यादा होता है वही यूनिट सही कर पाती है.''

एक्सपर्ट मानते हैं कि समय पर कोविड मरीज़ों को ये थेरेपी मिले तो ज़्यादा जानें बच सकती हैं. अब थेरेपी का एक दिन का ख़र्च ही अगर 50 हज़ार हो तो आम मरीज़ क्या करें? ऐसे में सरकारी मदद और दख़ल की यहां भी ज़रूरत है.

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