
नई दिल्ली:
सोमवार को सरकार के साथ खड़े होने का संकेत देने वाले मुलायम सिंह यादव मंगलवार को एक बार फिर पलट गए। उनके सांसद सदन में न सिर्फ नारेबाजी करते नजर आए बल्कि स्पीकर के सामने बैनर भी लहराए।
संसद में जब कांग्रेस और लेफ्ट के सांसद हंगामा कर रहे थे, सोमवार बहस के पैरोकार बने मुलायम की पार्टी के सांसद भी वेल में प्लाकार्ड लहराते दिखे। वे जातीय जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे हैं। यह अलग बात है कि कांग्रेस के 44 सांसदों के मुकाबले उनके सिर्फ पांच सांसद हैं। इसलिए जब वे अंदर अपनी छाप नहीं छोड़ पाए तो संसद के बाहर आकर तख्तियां लहराने लगे। पूछने पर मुलायम सिंह यादव ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि उनके सांसद हंगामा नहीं कर रहे थे बल्कि अपनी बात रख रहे थे।
कांग्रेस और सरकार के बीच छिड़ी जंग में मुलायम अपनी राजनीतिक सुविधा के हिसाब से दाएं-बाएं होते रहे हैं। सुषमा-वसुंधरा-शिवराज के इस्तीफों पर वे कांग्रेस के साथ नहीं पर कांग्रेसी सांसदों के निलंबन पर वे साथ आ गए थे। सोमवार को सरकार की तरफ से दावा किया गया कि वे सदन चलने देने के पक्ष में हैं और फिर वे प्रधानमंत्री की तारीफ भी पा गए। फिर मंगलवार को पलट गए।
मुलायम का मुद्दा बेशक कांग्रेस से अलग हो पर तरीका उसी विपक्ष का है जो अपनी आवाज सुने जाने के लिए सदन में हंगामा करता है। समाजवाद और सेकुलर राजनीति के झंडाबरदार बने मुलायम के सामने मुश्किल यह है कि यूपी की राजनीति के चलते वे न तो बीजेपी के साथ खड़े दिख सकते हैं और न ही कई दूसरी मजबूरियों के चलते केन्द्र सरकार से सीधे पंगा ले सकते हैं। इसलिए वे न तो तीन में हैं न तेरह में। या यह भा कह सकते हैं कि वे तीन में भी हैं और तेरह में भी।
संसद में जब कांग्रेस और लेफ्ट के सांसद हंगामा कर रहे थे, सोमवार बहस के पैरोकार बने मुलायम की पार्टी के सांसद भी वेल में प्लाकार्ड लहराते दिखे। वे जातीय जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे हैं। यह अलग बात है कि कांग्रेस के 44 सांसदों के मुकाबले उनके सिर्फ पांच सांसद हैं। इसलिए जब वे अंदर अपनी छाप नहीं छोड़ पाए तो संसद के बाहर आकर तख्तियां लहराने लगे। पूछने पर मुलायम सिंह यादव ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि उनके सांसद हंगामा नहीं कर रहे थे बल्कि अपनी बात रख रहे थे।
कांग्रेस और सरकार के बीच छिड़ी जंग में मुलायम अपनी राजनीतिक सुविधा के हिसाब से दाएं-बाएं होते रहे हैं। सुषमा-वसुंधरा-शिवराज के इस्तीफों पर वे कांग्रेस के साथ नहीं पर कांग्रेसी सांसदों के निलंबन पर वे साथ आ गए थे। सोमवार को सरकार की तरफ से दावा किया गया कि वे सदन चलने देने के पक्ष में हैं और फिर वे प्रधानमंत्री की तारीफ भी पा गए। फिर मंगलवार को पलट गए।
मुलायम का मुद्दा बेशक कांग्रेस से अलग हो पर तरीका उसी विपक्ष का है जो अपनी आवाज सुने जाने के लिए सदन में हंगामा करता है। समाजवाद और सेकुलर राजनीति के झंडाबरदार बने मुलायम के सामने मुश्किल यह है कि यूपी की राजनीति के चलते वे न तो बीजेपी के साथ खड़े दिख सकते हैं और न ही कई दूसरी मजबूरियों के चलते केन्द्र सरकार से सीधे पंगा ले सकते हैं। इसलिए वे न तो तीन में हैं न तेरह में। या यह भा कह सकते हैं कि वे तीन में भी हैं और तेरह में भी।
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