अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए हर कोई कह रहा है कि लोगों के हाथ में पैसा आए, लेकिन कैसे? नौकरी है नहीं, जो है वो जा रही है, जो मिली थी.. वो मिलकर भी नहीं मिली... चौंक गए! लेकिन ये दो मामले हैं एक मध्यप्रदेश से दूसरा छत्तीसगढ़ से. दो राज्य मामला एक - बेरोजगार युवाओं को ठगने के नए तरीके. मध्यप्रदेश में 2017 में पटवारी परीक्षा हुई और तीसरा साल चल रहा है मगर छात्रों की पूरी भर्तियां नहीं हो पाई हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में सत्यापन के सात महीने बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है.
संजय, पंकज, प्रशांत जैसे सिस्टम के सताए हजारों में से 3 चेहरे हैं. तीन साल पहले पटवारी की परीक्षा पास की, अब हाथों में कागज लिए भटक रहे हैं कि कहीं सुनवाई हो जाए. संजय नाराज़ होकर सरकार से पूछते हैं, आपके पास पेट्रोल-डीजल, चीन, पाकिस्तान सबके लिए वक्त है, बेरोजगारों के साथ राजनीति मत कीजिए.
वहीं पंकज कुमार साहू कहते हैं आरटीआई से जानकारी मिली है, 1400 पद रिक्त हैं, 400 त्यागपत्र हो गया फिर भी हाथ जोड़ना पड़ रहा है. अगर सरकार नहीं मानी तो शिवराज जी के घर के सामने भूख हड़ताल पर बैठेंगे परिवार के साथ. वहीं प्रशांत पाठक कहते हैं ढाई साल से परेशान हैं, आर्थिक रूप से टूट चुके हैं, ऐसा कोई मंत्री अधिकारी नहीं है जिसको पता नहीं है हमारी समस्या के बारे में.
गुना के बरखेडाहाट के कुलदीप रघुवंशी, मैकेनिकल इंजीनियर हैं. सन 2017 में पटवारी परीक्षा पास कर ली अब खेत में लौकी तोड़ रहे हैं.. आठ लोगों का परिवार है. सबको बेटे से आस थी लेकिन खुद कुलदीप की आस टूट चुकी है. वे कहते हैं 12वीं पास वाले डिप्रेशन में चले जाएंगे, मेरा क्या हो रहा होगा मैं दो साल से संघर्ष कर रहा हूं अधिकारी जानबूझकर मुझे नौकरी नहीं दे रहे हैं कितना गुस्सा आ रहा होगा मुझे ज़रा सोचिए.
गुना के बरखेडाहाट के कुलदीप रघुवंशी हैं, मैकेनिकल इंजीनियर हैं...2017 में पटवारी परीक्षा पास कर ली अब खेत में लौकी तोड़ रहे हैं ... आठ लोगों का परिवार है... सबको बेटे से आस थी लेकिन परीक्षा पास करके भी नौकरी नहीं मिली @ndtvindia @akshayhunka pic.twitter.com/gQEf9cLbR9
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) June 25, 2020
मध्यप्रदेश में 2017 में पटवारी भर्ती के लिए परीक्षा हुई थी. करीब चौबीस हजार महीने के वेतन वाली पटवारी भर्ती में चार हजार पदों के लिए दस लाख आवेदन आए थे. इनमें से ढाई लाख प्रतियोगी पीएचडी, एमबीए, एमए और इंजीनियरिंग के छात्र थे. 2018 में इस परीक्षा का परिणाम आया, ऑनलाइन काउंसलिंग हुई 9233 उम्मीदवार बुलाए गए, 7800 को नौकरी मिल गई. बाकी प्रतीक्षा सूची में रह गए.
पटवारी परीक्षा संघ के अध्यक्ष संदीप पांडे कहते हैं कि प्रथम काउंसलिंग के उपरांत 1400 पद खाली थे इसमें प्रतीक्षा सूची वालों को नौकरी देनी थी लेकिन विभाग ने 140 उम्मीदवारों को नियुक्ति दी है. पात्र को अपात्र घोषित कर बाहर बिठा दिया है. मंत्री कहते हैं प्रशासन नहीं सुना रहा है, प्रशासन कहता है शासन नहीं सुन रहा है, राजपत्र, नियम पुस्तिका सब हमें पात्र घोषित करते हैं.
मप्र में 2017 में पटवारी के 4000 पदों के लिये दस लाख आवेदन आये इनमें 2.5 लाख प्रतियोगी पीएचडी, एमबीए, एमए के छात्र थे, 2018 में इस परिणाम आया, ऑनलाइन काउंसलिंग हुई, 9233 उम्मीदवार बुलाए गये, 7800 को नौकरी मिल गई बाकी प्रतीक्षा सूची में रह गये @ndtvindia pic.twitter.com/svEop2iEo6
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जब परीक्षा हुई बीजेपी की सरकार थी, तब कांग्रेस ने वायदा किया, फिर कांग्रेस आई तो बीजेपी ने विधासनभा में सवाल उठाया. तब कांग्रेस के राजस्व मंत्री पाला बदलकर बीजेपी में मंत्री बन गए. अब फिर बीजेपी सत्ता में है तो कांग्रेस सवाल पूछ रही है. पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा हमारी सरकार ने पहल की थी, हमारे बच्चे जिन्होंने परीक्षा पास की सरकार उनके प्रति संवेदनशील रहे. नकारात्मक भाव नहीं लाना चाहता, हमने कुछ बड़े हिस्से को नियुक्ति दे दी थी ऐसा नहीं करती है सरकार तो अन्याय होगा हम उम्मीदवारों के साथ हैं.
वहीं बीजेपी नेता विश्वास सारंग ने कहा जुलाई 2019 में काउंसलिंग हुई उसमें ही कांग्रेस सरकार ने गड़बड़ की. अब एक बार काउंसलिंग हो गई है, क्या कुछ किया जा सकता है प्रकरण की जांच के बाद पता लगेगा.
पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में आप पटवारी की जगह शिक्षक कर लें, बाकी दिक्कत एक जैसी. स्कूल शिक्षा विभाग ने 14,580 पदों के लिए मार्च 2019 में विज्ञापन निकाला परीक्षा हुई, नतीजे आ गये. नवंबर 2019 में सफर उम्मीदवारों के दस्तावेजों का सत्यापन भी हो गया लेकिन नौकरी अब तक नहीं मिली है.
छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग ने 14,580 पदों के लिये मार्च 2019 में विज्ञापन निकाला परीक्षा हुई, नतीजे आ गये नवंबर 2019 में सफर उम्मीदवारों के दस्तावेजों का सत्यापन भी हो गया लेकिन नौकरी अब तक नहीं मिली है कोई खेती कर रहा है, कोई मनरेगा में मज़दूरी @ndtvindia@bhupeshbaghel pic.twitter.com/AtjtbCf6ZH
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अश्विनी कुमार जायसवाल चयनित उम्मीदवार हैं, कहते हैं कि पहले प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे, वो भी छूट गया. हमेशा फिक्र रहती है हमारी भर्ती कब होगी घर वाले भी परेशान रहते हैं.
मध्यप्रदेश की तरह, छत्तीसगढ़ में भी चयनित उम्मीदवारों में से कोई खेत में काम कर रहा है, तो कुछ मनरेगा में मजदूरी करके परिवार का पेट भर रहे हैं.
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