पिछले साल जब कोरोना के मामले बढ़ने लगे तब देश को वेंटिलेटर्स की याद आई.पहले भारत में ज्यादातर वेंटिलेटर्स विदेशों से आते थे, वहां की संस्थाओं से प्रमाणित, लेकिन पीएम केयर फंड (PM CARE FUND) से पिछले साल 2000 करोड़ रुपये के वेंटिलेटर खरीद की बात हुई, इसे 'मेड इन इंडिया' का नारा दिया गया. लेकिन हालत यह है कि आज मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में ऐसे कई वेंटिलेटर धूल खा रहे हैं. कई अस्पतालों में तो डॉक्टरों ने लिख दिया कि ये वेंटिलेटर इतने घटिया हैं कि वे इससे काम नहीं कर सकते.
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भोपाल का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल, हमीदिया अस्पताल. यहां एक कोरोना मरीज़ को कोविड वार्ड-3 में भर्ती किया गया. वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन परिजनों ने बताया कि 3 मई को वेंटिलेटर अचानक बंद हो गया, जिससे मरीज की मौत हो गई. अस्पताल मशीन से मौत की बात नकारता रहा, लेकिन NDTV के हाथ वो खत लगा जो डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन को घटना से कुछ दिन पहले लिखा था. इसमें साफ कहा गया था कि पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर गड़बड़ हैं, न ऑक्सीजन फ्लो आता है, न प्रेशर बनता है, चलते-चलते मशीन बंद हो जाती है. ऐसे में मरीज की जान बचाना मुश्किल है.
Hamidia hospital in Bhopal have reported that the ventilators received under PM Cares fund are defective.
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 11, 2021
Doctors said ventilators are not delivering tidal volume, not generating required pressure and sometimes they turn off suddenly which is very dangeruous for the patients pic.twitter.com/vypuCVCcQL
लेकिन मंत्रीजी कहते हैं सब ठीक है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, "पीएम रिलीफ फंड से आये वेंटिलेटर खराब हैं, ऐसी जानकारी मुझे नहीं है, मैं तो धन्यवाद दूंगा हमारे प्रधानमंत्रीजी को जिन्होंने देश में लगातार स्वास्थ्य सेवाओं के उन्नयन के लिये काम किया है. इतनी बड़ी संख्या में वेंटिलेटर दिये हैं जिससे हम लोगों की जान बचा पा रहे हैं.' PM CARE फंड से ज्यादा वेंटिलेटर तो आये. लेकिन क्या वाकई इनका उपयोग हो रहा है ये देखने के लिए हमने राज्य के 4 संभाग के 5 बड़े अस्पतालों में देखा. सागर का बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (BMC), शहडोल मेडिकल कॉलेज और आदिवासी बहुल शहडोल का जिला अस्पताल. सागर में बीएमसी में पीएम केयर से मिले वेंटिलेटर में 28 दिसंबर को शॉर्ट सर्किट होने की घटना भी सामने आई थी, आज यहां 72 वेंटिलेटर हैं, लेकिन सिर्फ 5 वेंटिलेटर का कोविड ICU में इस्तेमाल हो रहा है. बाकी स्टोर रूम में धूल खा रहे हैं. हालांकि. डीन डॉ आरए वर्मा कहते हैं स्टाफ की कमी है, कुछ खराब हैं लेकिन अधिकांश चल भी रहे हैं. शहडोल में 24 वेंटिलेटर पीएम केयर से मिले हैं, डॉक्टर कह रहे हैं मशीनें एडवांस हैं इसलिये चलाने में दिक्कत है. डीन डॉ मिलिंद शिरालकर ने कहा, 'वेंटिलेटर में ऑपरेशनल दिक्कत है, इंजीनियर को बता दिया है, वो कार्य करेंगे जिससे चालू हो जाए.' आदिवासी बहुत अलीराजपुर में भी 4 वेंटिलेटर हैं लेकिन दिखाने के लिये क्योंकि चलाने वाले विशेषज्ञ नहीं हैं. यहां पदस्थ डॉ केसी गुप्ता कहते हैं-दो वेंटिलेटर PM CARE फंड से मिले हैं, कुल 4 वेंटिलेटर हैं, इसका यूज करेंगे, फिलहाल नहीं हो रहा है क्योंकि ट्रेंड फिजिशियन नहीं हैं इसलिये शुरू नहीं कर पाए हैं.
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आदिवासी बहुत अलीराजपुर में भी 4 वेंटिलेटर हैं लेकिन दिखाने के लिये क्योंकि चलाने वाले विशेषज्ञ नहीं pic.twitter.com/sVBqovRUUM
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 11, 2021
कटनी में पीएम केयर से 2 वेंटिलेटर पिछले साल ही मिले लेकिन इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ, डॉक्टर साहब कंपनी को खत ही लिखते रहे. सीएमएचओ डॉ प्रदीप मुड़िया ने कहा, 'पीएम केयर फंड से 2 वेंटिलेटर आये हैं कंपनी से इंस्टॉलेशन होना है हमने खत लिखा है.'
कटनी में पीएम केयर से 2 वेंटिलेटर पिछले साल ही मिले लेकिन इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ, डॉक्टर साहब कंपनी को खत ही लिखते रहे pic.twitter.com/YopBBwNukt
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अशोकनगर जिले के मुंगावली सिविल अस्पताल में वेंटिलेटर ताले में बंद है, आज तक यह चालू नहीं हो पाया. कोरोना से पहले मध्यप्रदेश में कुल 993 वेंटिलेटर उपलब्ध थे, यानी करीब प्रति 75,000 लोगों के लिए एक वेंटिलेटर. केन्द्र से मध्यप्रदेश को अब 1205 वेंटिलेटर मिले हैं. राज्य में फिलहाल कोरोना के ही 1,11,223 एक्टिव मरीज हैं. पड़ोसी छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला अस्पताल में छह वेंटिलेटर हैं लेकिन इंस्टॉल सिर्फ दो हो पाए हैं. सिविल सर्जन डॉ एसएस देवदास कहते हैं, "मैं समझता हूं एमडी मेडिसन बढ़ाना चाहिये जिससे वेंटिलेटर संचालन में सुविधा हो.'' पिछले साल पीएम केयर्स फंड से लगभग 2000 करोड़ रुपए में लगभग 50000 वेंटिलेटर खरीदने की बात कही गई थी. छत्तीसगढ़ ने ये तक दावा किया था कि केंद्र से पीएम केयर फंड से राज्य को 230 वेंटिलेटर मिले थे. इसमें 160 वेंटिलेटर डीएल कंपनी और 70 वेंटिलेटर एक्वा कंपनी का था. केंद्र सरकार ने वेंटिलेटर की सीधे सप्लाई की थी, इसे खरीदने के लिए कोई राशि राज्य को नहीं भेजी गई थी. जिसमें से कई वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक लगभग 2 लाख मरीज आज वेंटिलेटर पर हैं, 10 लाख के करीब ऑक्सीजन पर ऐसे में जाहिर तौर पर डॉक्टरों की प्राथमिकता बीमारी से लड़ना होगा घटिया. मशीनों से नहीं.
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