नई दिल्ली:
संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है, जो 30 अगस्त तक चलेगा। सरकार ने 44 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिन्हें पारित कराना उसकी प्राथमिकता है। लेकिन इसके लिए सिर्फ 16 दिन उपलब्ध हैं, और विपक्षी दलों के रवैये भी सवालों के घेरे में हैं। क्या वे इसके लिए राजी होंगे?
संसद के मानसून सत्र के सुचारू संचालन के लिए शनिवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हालांकि सत्र के सुचारू संचालन की उम्मीद जताई थी।
बजट सत्र में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे विपक्ष ने भी कहा है कि वह मानसून सत्र बाधित नहीं करना चाहता। इन सबके बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने यह कहकर विधेयकों को पारित कराने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है कि आवश्यकता पड़ने पर मानसून सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
संसद के मानसून सत्र में सरकार की प्राथमिकता खाद्य सुरक्षा विधेयक, बीमा एवं पेंशन क्षेत्र में सुधार से संबंधित विधेयक तथा राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे से बाहर रखने के लिए आरटीआई अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक को पारित करवाने की होगी।
वहीं, वामपंथी दल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल (युनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश को लेकर चिंता जताई है, जिसमें न्यायालय ने कहा है कि आपराधिक मामलों में दोषी पाए जाने के बाद विधायक-सांसद अयोग्य ठहरा दिए जाएंगे और गिरफ्तार व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
सर्वदलीय बैठक में मौजूद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हालांकि कहा है कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में बयान दे सकती है।
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ के अनुसार, विपक्षी दल न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित न्यायिक आयोग विधेयक इस सत्र में पारित कराना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त विपक्ष दल भूमि अधिग्रहण विधेयक, आर्थिक स्थिति, मध्याह्न् भोजन योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार, उत्तराखंड में बाढ़, इशरत जहां मुठभेड़ को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और खुफिया ब्यूरो (आईबी) के बीच जारी विवाद तथा जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ के मुद्दे भी उठाना चाहते हैं।
संसद के मानसून सत्र के सुचारू संचालन के लिए शनिवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हालांकि सत्र के सुचारू संचालन की उम्मीद जताई थी।
बजट सत्र में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे विपक्ष ने भी कहा है कि वह मानसून सत्र बाधित नहीं करना चाहता। इन सबके बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने यह कहकर विधेयकों को पारित कराने को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है कि आवश्यकता पड़ने पर मानसून सत्र की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
संसद के मानसून सत्र में सरकार की प्राथमिकता खाद्य सुरक्षा विधेयक, बीमा एवं पेंशन क्षेत्र में सुधार से संबंधित विधेयक तथा राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे से बाहर रखने के लिए आरटीआई अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक को पारित करवाने की होगी।
वहीं, वामपंथी दल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल (युनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश को लेकर चिंता जताई है, जिसमें न्यायालय ने कहा है कि आपराधिक मामलों में दोषी पाए जाने के बाद विधायक-सांसद अयोग्य ठहरा दिए जाएंगे और गिरफ्तार व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
सर्वदलीय बैठक में मौजूद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हालांकि कहा है कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में बयान दे सकती है।
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ के अनुसार, विपक्षी दल न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित न्यायिक आयोग विधेयक इस सत्र में पारित कराना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त विपक्ष दल भूमि अधिग्रहण विधेयक, आर्थिक स्थिति, मध्याह्न् भोजन योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार, उत्तराखंड में बाढ़, इशरत जहां मुठभेड़ को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और खुफिया ब्यूरो (आईबी) के बीच जारी विवाद तथा जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ के मुद्दे भी उठाना चाहते हैं।
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