नई दिल्ली:
चुनाव आयोग ने पेड न्यूज मामले में किसी राजनीतिज्ञ के खिलाफ पहली बार कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश से विधायक रहीं उमलेश यादव को आज तीन साल के लिए अयोग्य करार दिया। आयोग ने महिला विधायक उमलेश यादव के खिलाफ यह कार्रवाई दो हिंदी समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों पर हुए चुनाव खर्च के बारे में गलत बयान देने के लिए की है। विवादास्पद राजनीतिज्ञ बी पी यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय परिवर्तन दल की विधायक उमलेश को अयोग्य करार देने के निर्णय का महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित अन्य मामलों पर प्रभाव पड़ सकता है। चव्हाण के खिलाफ भी ऐसी ही शिकायत है और उनका मामला भी चुनाव आयोग के समक्ष लंबित है। मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के नेतृत्व वाले तीन सदस्य आयोग ने यह निर्णय उम्मीदवार योगेंद्र कुमार की शिकायत पर दिया जिसकी प्रेस परिषद में शिकायत को सही पाया गया था और यही आयोग की कार्रवाई का आधार बना। आयोग ने कहा कि इस मामले में तथ्यों, परिस्थितियों और कानून को ध्यान में रखते हुए उसका यह विचार है और उसे महसूस होता है कि उमलेश यादव ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 77 के तहत अप्रैल 2007 में उत्तर प्रदेश में बिसौली के लिए हुए विधानसभा चुनाव के दौरान हुए चुनावी खर्च का सही और सच्चा हिसाब नहीं रखा। आयोग ने कहा कि उन्होंने जिला चुनाव अधिकारी के पास गलत चुनाव खर्च का ब्योरा दाखिल किया और गलत चुनावी ब्योरा दाखिल करने से इनकार करने के साथ ही अपने इस कृत्य का बचाव भी किया। आयोग ने कहा कि कुछ लोगों को चुनावी खर्च में 21250 रुपये छिपाने के लिए यह कार्रवाई बहुत कठोर लग सकती है। आयोग ने कहा, आयोग संसद की ओर से बनाये गए कानून का पालन करने के लिए बाध्य है लेकिन इसके साथ ही यह उसका कर्तव्य भी है।' अत: उसके पास इसके सिवा कोई विकल्प नहीं बचता है कि वह यादव को संसद , विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता के लिए आज की तिथि से अगले तीन साल तक के लिए अयोग्य ठहराए। योगेंद्र कुमार ने प्रेस परिषद के समक्ष शिकायत की थी कि दो हिंदी दैनिकों ने 17 अप्रैल 2007 को ठीक चुनाव से एक दिन पहले यादव के पक्ष में अपने अखबारों में पेड न्यूज आइटम प्रकाशित किए थे। अखबारों का कहना था कि ये खबरें नहीं बल्कि विज्ञापन थे और हर विज्ञापन के अंत में कोने में एडीवीटी शब्द लिखे थे जो यह बताते हैं कि यह खबर नहीं विज्ञापन थे। प्रेस परिषद ने शिकायत पर विचार करने के बाद कहा कि सामग्री का जिस तरीके से प्रकाशन किया गया उससे आम आदमी को ऐसा आभास होता है कि यह खबर है।