नई दिल्ली:
सरकार अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी सब कोटा के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के ग्रीष्मावकाश के बाद उसका दरवाजा खटखटाएगी न कि अवकाशकालीन न्यायाधीश के पास जाएगी क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय आईआईटी में काउंसलिंग को इच्छुक छात्रों को लेकर फिलहाल फिक्रमंद नहीं है।
आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे के अंदर ही अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला रद्द कर दिया था जिसके बाद शीर्ष न्यायालय जाने का निर्णय लिया गया है।
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘‘मैंने (मानव संसाधन मंत्री) कपिल सिब्बल से बातचीत की है। फिलहाल वह इस मुद्दे पर फिक्रमंद नहीं हैं कि इस साल छात्रों को साढ़े चार फीसदी का लाभ उपलब्ध हो पाएगा या नहीं...।’’ उन्होंने कहा कि वह अटार्नी जनरल जीई वाहनवती के संपर्क में हैं और वे सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमत हो गए हैं कि विषय तैयार किया जाएगा और दाखिल किया जाएग तथा आशा है कि जुलाई के पहले सप्ताह में उच्चतम न्यायालय में इस पर सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत दो जुलाई को खुलेगी।
खुर्शीद के पास अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार भी है। खुर्शीद ने कहा कि दो जुलाई से पहले समीक्षा :याचिका: दायर की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह इस इरादे के साथ दायर की जाएगी कि जुलाई के पहले सप्ताह में वह तैयार हो।’’ सूत्रों ने कहा कि सरकार की राय है कि शीर्ष अदालत के ग्रीष्मावकाश के बाद ही समीक्षा दायर की जाए क्योंकि ऐसी संभावना है कि अवकाशकालीन न्यायाधीश मामले की सुनवाई की तिथि शीर्ष अदालत के फिर से खुलने के बाद की रख दें और ऐसे में इस मामले पर जल्दबाजी नहीं की जाए।
मंत्री ने कहा कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की वजह से जिन छात्रों को काउंसलिंग मिल गयी है वे इसके हकदार बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि साढ़े फीसदी सब कोटा से छात्रों को अपनी पसंद के पाठ्यक्रम मिलने में मदद मिलेगी।
आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में आईआईटी ने उसे मानने का फैसला किया है और फिलहाल कोटा को नजरअंदाज करने का निर्णय लिया है। आईआईटी ने हाल ही अपने एक बयान में कहा, ‘‘चुने गए सभी उम्मीदवारों को इस पर गौर करने की सलाह दी जाती है कि ओबीसी :नन क्रीमी लेयर अल्पसंख्यक: को साढ़े चार फीसदी आरक्षण की उपलब्धता 13 जून तक कानूनी घटनाक्रम पर निर्भर करेगी। अतएव, वे उसी के अनुसार अपने पाठ्यक्रम का पंजीकरण कराएं।’’
इससे पहले राज्यों के अल्पसंख्यक मंत्रियों के सम्मेलन में खुर्शीद ने उनसे खासकर विपक्ष शासित राज्यों के संबंधित मंत्रियों से वंचित वर्गों के लिए काम करने के वास्ते व्यापक अधिकार क्षेत्र को लेकर समान अवसर आयोग :ईओसी: की क्षमता से अपने केंद्रीय नेतृत्व से अवगत कराने की अपील की। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि यदि इस मुद्दे पर सहमति बनती है यह समान अवसर आयोग की दिशा में कुछ प्रगति होगी।
खुर्शीद इस आयोग को व्यापक अधिकार क्षेत्र देने पर बल दे रहे हैं, चाहे वह किसी भी मंत्रालय के अधीन क्यों न हो। लेकिन कुछ अन्य मंत्रालयों और उनके अंतर्गत कार्यरत आयोगों की कड़ी आपत्ति के कारण ए के एंटनी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने फैसला किया कि ईओसी का अधिकार क्षेत्र अल्पसंख्यकों तक ही हो और अन्य विभागों एवं आयोग के कामकाज के साथ उसका टकराव न हो। इस बात का संकेत है कि विभिन्न पक्ष ईओसी की मूल अवधारणा को बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल ईओसी को एक ऐसी निकाय के रूप में देखा गया है जो सभी वंचित वर्गों के हितों का संरक्षण करे।
आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे के अंदर ही अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला रद्द कर दिया था जिसके बाद शीर्ष न्यायालय जाने का निर्णय लिया गया है।
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘‘मैंने (मानव संसाधन मंत्री) कपिल सिब्बल से बातचीत की है। फिलहाल वह इस मुद्दे पर फिक्रमंद नहीं हैं कि इस साल छात्रों को साढ़े चार फीसदी का लाभ उपलब्ध हो पाएगा या नहीं...।’’ उन्होंने कहा कि वह अटार्नी जनरल जीई वाहनवती के संपर्क में हैं और वे सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमत हो गए हैं कि विषय तैयार किया जाएगा और दाखिल किया जाएग तथा आशा है कि जुलाई के पहले सप्ताह में उच्चतम न्यायालय में इस पर सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत दो जुलाई को खुलेगी।
खुर्शीद के पास अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार भी है। खुर्शीद ने कहा कि दो जुलाई से पहले समीक्षा :याचिका: दायर की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह इस इरादे के साथ दायर की जाएगी कि जुलाई के पहले सप्ताह में वह तैयार हो।’’ सूत्रों ने कहा कि सरकार की राय है कि शीर्ष अदालत के ग्रीष्मावकाश के बाद ही समीक्षा दायर की जाए क्योंकि ऐसी संभावना है कि अवकाशकालीन न्यायाधीश मामले की सुनवाई की तिथि शीर्ष अदालत के फिर से खुलने के बाद की रख दें और ऐसे में इस मामले पर जल्दबाजी नहीं की जाए।
मंत्री ने कहा कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की वजह से जिन छात्रों को काउंसलिंग मिल गयी है वे इसके हकदार बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि साढ़े फीसदी सब कोटा से छात्रों को अपनी पसंद के पाठ्यक्रम मिलने में मदद मिलेगी।
आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में आईआईटी ने उसे मानने का फैसला किया है और फिलहाल कोटा को नजरअंदाज करने का निर्णय लिया है। आईआईटी ने हाल ही अपने एक बयान में कहा, ‘‘चुने गए सभी उम्मीदवारों को इस पर गौर करने की सलाह दी जाती है कि ओबीसी :नन क्रीमी लेयर अल्पसंख्यक: को साढ़े चार फीसदी आरक्षण की उपलब्धता 13 जून तक कानूनी घटनाक्रम पर निर्भर करेगी। अतएव, वे उसी के अनुसार अपने पाठ्यक्रम का पंजीकरण कराएं।’’
इससे पहले राज्यों के अल्पसंख्यक मंत्रियों के सम्मेलन में खुर्शीद ने उनसे खासकर विपक्ष शासित राज्यों के संबंधित मंत्रियों से वंचित वर्गों के लिए काम करने के वास्ते व्यापक अधिकार क्षेत्र को लेकर समान अवसर आयोग :ईओसी: की क्षमता से अपने केंद्रीय नेतृत्व से अवगत कराने की अपील की। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि यदि इस मुद्दे पर सहमति बनती है यह समान अवसर आयोग की दिशा में कुछ प्रगति होगी।
खुर्शीद इस आयोग को व्यापक अधिकार क्षेत्र देने पर बल दे रहे हैं, चाहे वह किसी भी मंत्रालय के अधीन क्यों न हो। लेकिन कुछ अन्य मंत्रालयों और उनके अंतर्गत कार्यरत आयोगों की कड़ी आपत्ति के कारण ए के एंटनी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह ने फैसला किया कि ईओसी का अधिकार क्षेत्र अल्पसंख्यकों तक ही हो और अन्य विभागों एवं आयोग के कामकाज के साथ उसका टकराव न हो। इस बात का संकेत है कि विभिन्न पक्ष ईओसी की मूल अवधारणा को बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल ईओसी को एक ऐसी निकाय के रूप में देखा गया है जो सभी वंचित वर्गों के हितों का संरक्षण करे।
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