पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने लोकसभा चुनाव के मिले निराशाजनक परिणाम के बाद विधानसभा चुनाव के लिए अपनी कमर कस ली है. साल 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) में डील हुई है. प्रशांत किशोर (Prashant Kishor News) अब ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति बनाएंगे. बता दें कि प्रशांत किशोर ने हाल ही में आंध्रप्रदेश में जगह मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी. प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी काम कर चुके हैं. कोलकाता में दो घंटे की बैठक के बाद ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर के बीच इस बात पर सहमति बनी है. प्रशांत किशोर अगले महीने से ममता बनर्जी के लिए काम शुरू करेंगे.
JDU के भीतर प्रशांत किशोर की नाराजगी के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कही यह बात...
बता दें कि साल 2014 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने आंध्र प्रदेश में जगमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस की 'सुनामी जीत' में अहम भूमिका निभाते हुए फिर से 'अपने बिजनेस' में जोरदार वापसी की थी. प्रशांत किशोर की रणनीति ने उस चंद्रबाबू नायडू को सत्ता से बाहर कर दिया था जो आम चुनाव के परिणाम आने से कुछ दिन पहले पहले तीसरा मोर्चा बनाने की अगुवाई कर रहे थे. प्रशांत किशोर ने साल 2017 में उत्तर प्रदेश में हुए चुनाव में कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार की थी, लेकिन तब इस चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी.
Thank you Andhra and colleagues at @IndianPAC for the landslide victory.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 23, 2019
Congratulations and best wishes to the new CM @ysjagan
आंध्रप्रदेश का चुनाव परिणाम आने के बाद प्रशांत किशोर ने अपने संगठन आई-पीएसी (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन) का हवाला देते हुए ट्वीट किया था, 'आंध्र प्रदेश और सभी सहयोगियों को इस एकतरफा जीत के लिए धन्यवाद. नए मुख्यमंत्री को बधाई और बहुत शुभकामनाएं'.
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बता दें कि बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने इस चुनाव बमुश्किल ही कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. इसके पीछे वजह रही कि नीतीश कुमार पर सहयोगी पार्टी बीजेपी के दबाव में थे. बीजेपी युवाओं के बीच जेडीयू के विस्तार की प्रशांत किशोर की योजना को लेकर नाराज थी. इस पर नीतीश कुमार ने बीजेपी की असहजता को तेजी से समझते हुए उसकी चिंता की अनदेखी करने के बजाय अपने उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को ही किनारे करने का फैसला लिया.
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