स्कूल बैग लिए बच्चा (फाइल फोटो)
मुंबई:
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को एक निर्देश जारी किया। इसके अनुसार स्कूली बैग का वज़न बच्चों के वज़न का 10 प्रतिशत होना चाहिए। सरकार द्वारा बनाई गई कमिटी ने हर कक्षा के बच्चों का औसत वज़न तय किया है। और इस नए नियम के अनुसार बच्चों के बैग का वज़न इस औसत वज़न का 10 प्रतिशत होना चाहिए।
स्कूल बैग का वज़न हमेशा ही बहस का मुद्दा रहा है। जानकारों के मुताबिक बच्चों में पीठ पर लदे इस बोझ की वजह से बच्चों की शारीरिक मुद्रा खराब होने की सम्भावना बनी रहती है, बच्चों को पीठ दर्द और सिर दर्द जैसी शिकायत भी होती है।
शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा, "स्कूल बैग का वज़न कम करने के लिए हमने निर्देश जारी किए हैं। इस सन्दर्भ में एक कमिटी बनाई गई थी। बैग का वजन कम करने के लिए जरूरी बातों का ध्यान रखा जाएगा। जैसे बच्चे टाइम टेबल के अनुसार किताबें लाएं, 100 पन्नों की नोटबुक्स इस्तेमाल की जाएं।"
इस कमिटी ने 44 सुझाव दिए हैं वज़न को कम करने के लिए। स्कूल कहते हैं कि स्कूल बैग के वज़न पर हमेशा ध्यान देते रहे हैं। टाइम टेबल के हिसाब से किताबें मंगाते हैं। सरकार ने बैग के वज़न को कम करने के लिए कमिटी भी बनाई है। कमिटी ने 44 सुझाव भी दिए।
स्कूलों का कहा गया है कि 100 पन्नों की नोटबुक ली जाये, स्कूल में साफ़ पानी का इंतज़ाम हो ताकि पानी की बोतल का वज़न कम हो और टेबलेट के जरिऐ ई-लर्निंग पर भी ज़ोर दिया जाए। कमिटी ने कहा है कि स्कूलों में लॉकर का इंतज़ाम होना चाहिए ताकि बच्चे अपनी किताबें उसमे रख सकें और उन किताबों को रोज़ लाना ले जाना न पड़े।
एजुकेशन एक्सपर्ट रमेश जोशी ने कमिटी के इन सुझावों को पूरी तरह से अव्यावहारिक बताया है। उनका कहना है कि जिन सुझावों के ज़रिये बैग के वज़न को कम करने की बात की जा रही है अधिकांश स्कूल अभी उसके लिए तैयार ही नहीं हैं। गुरुवार को हाई कोर्ट ने भी सरकार को अपने निर्देश को जल्द से जल्द अमली जामा पहनाने का आदेश दिया है।
स्कूल बैग का वज़न हमेशा ही बहस का मुद्दा रहा है। जानकारों के मुताबिक बच्चों में पीठ पर लदे इस बोझ की वजह से बच्चों की शारीरिक मुद्रा खराब होने की सम्भावना बनी रहती है, बच्चों को पीठ दर्द और सिर दर्द जैसी शिकायत भी होती है।
शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा, "स्कूल बैग का वज़न कम करने के लिए हमने निर्देश जारी किए हैं। इस सन्दर्भ में एक कमिटी बनाई गई थी। बैग का वजन कम करने के लिए जरूरी बातों का ध्यान रखा जाएगा। जैसे बच्चे टाइम टेबल के अनुसार किताबें लाएं, 100 पन्नों की नोटबुक्स इस्तेमाल की जाएं।"
इस कमिटी ने 44 सुझाव दिए हैं वज़न को कम करने के लिए। स्कूल कहते हैं कि स्कूल बैग के वज़न पर हमेशा ध्यान देते रहे हैं। टाइम टेबल के हिसाब से किताबें मंगाते हैं। सरकार ने बैग के वज़न को कम करने के लिए कमिटी भी बनाई है। कमिटी ने 44 सुझाव भी दिए।
स्कूलों का कहा गया है कि 100 पन्नों की नोटबुक ली जाये, स्कूल में साफ़ पानी का इंतज़ाम हो ताकि पानी की बोतल का वज़न कम हो और टेबलेट के जरिऐ ई-लर्निंग पर भी ज़ोर दिया जाए। कमिटी ने कहा है कि स्कूलों में लॉकर का इंतज़ाम होना चाहिए ताकि बच्चे अपनी किताबें उसमे रख सकें और उन किताबों को रोज़ लाना ले जाना न पड़े।
एजुकेशन एक्सपर्ट रमेश जोशी ने कमिटी के इन सुझावों को पूरी तरह से अव्यावहारिक बताया है। उनका कहना है कि जिन सुझावों के ज़रिये बैग के वज़न को कम करने की बात की जा रही है अधिकांश स्कूल अभी उसके लिए तैयार ही नहीं हैं। गुरुवार को हाई कोर्ट ने भी सरकार को अपने निर्देश को जल्द से जल्द अमली जामा पहनाने का आदेश दिया है।
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