महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामलों से किसानों की परेशानी भी बढ़ी है. कई जगहों पर बाज़ार बंद हैं, कोई खरीदार नहीं आ रहा है, जिसके दाम कम हो गए हैं. किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा है. कई किसान तो अपने खेतों में ही उपज को फेंक रहे हैं.
औरंगाबाद के पैठण तालुका में फूलों की खेती करने वाले मनोज गोज़रे आजकल अपने फूलों को तोड़कर अपने ही खेतों में फेंक रहे हैं. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू होने के बाद सरकार की ओर से कई कठोर नियम बनाए गए और उसका सीधा असर मनोज गोज़रे जैसे कई किसानों की जेब पर पड़ा. बाज़ार में कोई खरीदार नहीं आ रहा है, जिसकी वजह से फूलों के दाम बुरी तरह प्रभावित हैं. पहले जहां एक गुलाब 10 रुपये में बिकता था, तो वहीं अब 10 गुलाबों का एक गुच्छा 3 रुपये में बिक रहा है. बाज़ार में लाने और ले जाने का खर्च भी इन्हीं को उठाना पड़ता है. यही हाल गेंदे के फूल का भी है.
किसान मनोज गोज़रे कहते हैं कि ''बाज़ार में कोई नहीं है और अब नुकसान हो रहा है. 10 लाख रुपये का कर्ज है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो खेत बेचकर कर्ज़ चुकाना होगा.''
यही हाल टमाटर की खेती का भी है. बाज़ार में कोई खरीददार नहीं है और टमाटर खेतों में सड़ रहे हैं. अब किसान जानवरों को टमाटर खिला रहे हैं और खेतों में ही उसे फेंक रहे हैं. पहले जहां 25 किलो टमाटर 250 रुपये में बिकते थे, तो वहीं अब 25 किलो टमाटर की कीमत 10 से 30 रुपये हो गई है.
तरबूज की खेती का भी हाल यही है. आमतौर पर जहां एक किलो तरबूज 8 रुपये में बिकता था, तो वहीं अब 3 रुपये में भी कोई नहीं खरीद रहा.
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