महाराष्ट्र के कई जिले ऑक्सीजन की सुविधा (Maharashtra Corona Oxygen Cylinder) से लैस बेड की कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना कर पड़ रहा है. कई इलाकों में ऑक्सीजन बेड न मिलने से घरों पर ही कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया जा रहा है. अहमदनगर (Ahmednagar Corona Cases) जिले में कई संस्थाओं की ओर से ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की मदद की जा रही है. फ्रंटलाइन वर्करों को भी पर्याप्त मदद नहीं मिल पा रही है. पुलिस कान्स्टेबल चेतन बर्डे 24 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे. प्रशासन ने इन्हें अस्पताल में भर्ती किया और इलाज के लिए 2 लाख रुपये की मदद भी की. लेकिन इसके बावजूद इनका इलाज पूरा ना हो सका. अपने इलाज के लिए इन्होंने 1 लाख रुपयों का कर्ज भी लिया.
फिर भी ठीक नहीं होने के बाद अब कुछ संस्थानों की मदद से घर पर इलाज जारी है.आर्थिक तंगी के वजह से परिवारवाले कई दिनों से परेशान हैं. बर्डे का कहना है कि इलाज का पैसा कहां से देंगे. कोविड के इलाज के लिए प्रशासन ने 2 लाख रुपये दिए और बाकी हमने भरे.चेतन की ही तरह अहमदनगर में ऐसे कई लोग हैं जो अब घर पर ही इलाज कर रहे हैं. वहदत ए इस्लामी (Wahadat-e-Islami) नामक संस्था इन्हें ऑक्सीजन और दवाइयों की सप्लाई कर रही है.
साथ ही स्कूल में एक अस्थायी अस्पताल भी बनाया गया है, जहां लोगों का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है. एक कोरोना मरीज के रिश्तेदार मरकिस शेख ने कहा कि हमारी हैसियत ऐसी नहीं थी कि अस्पताल में जाकर इलाज करवाएं और इस संस्था ने दवाई, सिलेंडर सब कुछ लाकर दिया. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में करीब एक माह से लॉकडाउन की स्थिति है, कोरोना के मामले रोजाना के 60-65 हजार से घटकर अब 50 हजार से नीचे आ गए हैं.
डॉ इस्लाम शेख ने कहा कि इस मरीज को हमने न ही रेमडेसिविर और न ही टोसीलीज़ुमैब दिया और इन्हें ठीक किया.इस तरह हमने 15 लोगों को ठीक किया है. ऐसे संस्थाओं की ओर से मिल रहे मदद की वजह से जहां कई लोगों को समय पर इलाज मिल पा रहा है और उनकी जान बच रही है, तो वहीं इन तस्वीरों से यह भी समझा जा सकता है कि ग्रामीण महाराष्ट्र में अस्पतालों की बुनियादी हालत कितने खराब हैं.
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