महाराष्ट्र : सिंचाई घोटाले में अजीत पवार के फैसले जांच के दायरे में

महाराष्ट्र : सिंचाई घोटाले में अजीत पवार के फैसले जांच के दायरे में

अजीत पवार (फाइल फोटो)

खास बातें

  • NDTV के पास चार्जशीट की एक्सलूजीव कॉपी
  • ठाणे एंटी करप्शन ब्यूरो ने चार्जशीट फ़ाइल की
  • अजीत पवार आरोपियों में शामिल नहीं पर भूमिका पर सवाल
मुंबई:

महाराष्ट्र के विवादित सिंचाई घोटाले में एनसीपी विधायक अजीत पवार के फैसले जांच के दायरे में आ चुके हैं. ठाणे ACB से इस मामले में दायर हालिया चार्जशीट से इस बात का खुलासा हो रहा है. NDTV इंडिया के पास चार्जशीट का वह हिस्सा एक्सक्लूसिव है जिसमें अजीत पवार की जांच का जिक्र हुआ है.

ठाणे एंटी करप्शन ब्यूरो ने सोमवार को करोड़ों रुपये की लागत से बने बालगंगा सिंचाई प्रोजेक्ट मामले में 30 हजार पन्ने की चार्जशीट फ़ाइल की. इस चार्जशीट में अजीत पवार की जांच का जिक्र स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. हाईकोर्ट में दायर याचिका पर जारी सुनवाई के तहत जिन 13 सिंचाई प्रोजेक्ट्स की जांच राज्य सरकार ने ACB को करने को कहा है, रायगढ़ जिले में स्थित बालगंगा उसी में से एक प्रोजेक्ट है.

चार्जशीट का एक पन्ना स्पष्ट रूप से कहता है कि, "हमनें 27/7/2016 को, बालगंगा प्रोजेक्ट के सन्दर्भ में तत्कालीन सिंचाई मंत्री अजीत पवार ने लिए हुए नीतिगत फैसलों के बारे में राज्य के सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है. इस मामले में जांच बाकी है."

चार्जशीट में बतौर आरोपियों की फेहरिस्त में भले ही अजीत पवार का नाम न हो लेकिन इस जिक्र से उनकी भूमिका पर सवाल जरूर उठे हैं. यही नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लिए बगैर सरकारी संस्था सिडको द्वारा बालगंगा प्रोजेक्ट को पैसे मुहैया करना भी जांच के दायरे में आ चुका है. गौरतलब है कि सिडको बोर्ड पर भी एनसीपी का कब्ज़ा था. जिस बोर्ड ने गैरकानूनी रूप से कोंकण सिंचाई विकास बोर्ड के साथ MoU करने की बात चार्जशीट में कही गई है.

चार्जशीट के अगले खुलासे में बालगंगा प्रोजेक्ट के सर्वे का काम संदेहास्पद बताकर इसलिए 52 लाख 28 हजार 226 रु पायोनियर फाउंडेशन को दे देना भी जांच के दायरे में लाया गया है.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बनने से पहले करीब बारह साल अजीत पवार ने सिंचाई विभाग का जिम्मा महाराष्ट्र में संभाला. इसी दौरान उन पर 32 सिंचाई प्रोजेक्टों की लागत 17 हजार करोड़ रुपये बढ़ाने का प्रमुख आरोप लगा है. बालगंगा प्रोजेक्ट को 2009 में मंजूरी मिलने के बाद महज 6 महीने में ही उसकी लागत 414 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1600 करोड़ रुपये कर दी गई थी.

ज्ञात हो कि, ACB ने बालगंगा प्रोजेक्ट के मामले में केस दायर करने के बाद अजीत पवार की 2 घंटे जांच भी की है.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com