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एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिया यह निर्देश
चार हफ्ते में केंद्र और राज्य से जवाब दायर करने को कहा
केंद्र के नोटिफिकेशन को लेकर बढ़ता जा रहा है विरोध
कोर्ट ने इस बारे में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया. जनहित याचिका में मुख्य रूप से दो मुद्दों को उठाया गया है. पहला- केंद्र सरकार का ताजा नोटिफिकेशन लोगों की खाने-पीने की आजादी पर हमला है और दूसरा- जानवरों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाना व्यापार और पेशे में दखल है.
बता दें कि हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है. केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती देने की बात कहते हुए कहा है कि केंद्र राज्यों के अधिकारों का हनन कर रहा है. केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में प्रदर्शन भी हुए हैं.
पशु बाजार में वध के लिए पशुओं की बिक्री पर रोक लगाए जाने को लेकर केंद्र पर बरसते हुए केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने रविवार को कहा था कि उनके राज्य के लोगों को खाने की आदतों के बारे में नई दिल्ली या नागपुर से सीख लेने की आवश्यकता नहीं है. केरल की सरकार ने यह भी कहा कि वध के लिए पशुओं की बिक्री पर केंद्र के प्रतिबंध के विरोध में वह कानून ला सकती है.
वहीं इस मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि उनकी केंद्र के फैसले को स्वीकार नहीं करेगी. ममता ने मोदी सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को 'अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक' बताया और कहा कि इसे वैधानिक रूप से चुनौती दी जाएगी.
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